नई टिहरी। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग में शिक्षण व गैरशिक्षण कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय कर्मयोगी कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देश पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक प्रो कुलदीप शर्मा व डॉ विजय दाधीच ने कार्मिकों को बताया कि अपने कार्य को नई दृष्टि से कैसे देखना है, जिससे वह विकसित भारत के लक्ष्य में सफल हो पाएं। राष्ट्रीय कर्मयोगी (व्यापक क्षेत्र का जनसेवा कार्यक्रम) प्रशिक्षण नामक इस कार्यक्रम में प्रो कुलदीप शर्मा ने बताया कि कर्मचारियों के मन में सेवा भाव की जागृति व हित धारकों में सरकारी सेवा के प्रति विश्वास व सकारात्मक भाव उत्पन्न करना उद्देश्य है। प्रो शर्मा ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में ऐसी कार्यशालाएं अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से सभी परिसरों में ये कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। डॉ विजय दाधीच ने बताया कि इस कार्यक्रम से कार्मिकों की क्षमता और सोच में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। निदेशक प्रो पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि समय-समय पर ऐसे कार्यक्रमों का होना कार्मिकों की क्षमता में अभिवृद्धि करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कार्यशाला में अध्यापकों और कर्मचारियों ने विभिन्न टीमों के माध्यम से अपनी संकल्पनाएं और योजनाएं बताई। कार्य शाला में प्रो महेश झा, डॉ शैलेंद्र नारायण कोटियाल, डॉ सूर्यमणि भंडारी, डॉ अरविंद सिंह गौर, डॉ रितेशा, डॉ ब्रह्मानंद मिश्रा आदि शामिल रहे।
कर्मयोगी कार्यशाला में कार्यक्षमता बढ़ाने पर जोर
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