देहरादून। मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में भागीरथी इको सेंसेटिव जोन निगरानी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में उन्होंने स्पष्ट किया कि इको सेंसेटिव जोन की परिधि में तत्काल सुरक्षात्मक और उपचारात्मक कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर किया जा सकता है।
मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग सहित संबंधित विभागों और एजेंसियों को निर्देशित किया कि वे नदी से सटे क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण और अन्य सुरक्षात्मक कार्यों को शीघ्रता से क्रियान्वित करें।
मुख्य सचिव ने गैर-कृषि और व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमतियों के संबंध में जिलाधिकारी उत्तरकाशी और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जोनल मास्टर प्लान, पर्यावरणीय प्रावधानों और जैव विविधता से जुड़े नियमों का गहन अध्ययन करें। यदि आवश्यक हो तो आईआईटी रुड़की, हाइड्रोलॉजी संस्थान या वाडिया संस्थान जैसे वैज्ञानिक संस्थानों की स्टडी को भी योजना में शामिल किया जाए।
मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि निगरानी समिति की अगली बैठक में जोनल मास्टर प्लान के साथ-साथ यदि किसी कमर्शियल गतिविधि की अनुमति दी जानी हो, तो सभी नियामकीय प्रावधानों और एनओसी का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाए।
उन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सभी विभाग और एजेंसियां आपसी समन्वय से स्थलीय स्थिति के अनुसार ठोस योजना बनाकर अगली बैठक में प्रस्तुत करें।
मुख्य सचिव ने समिति के सदस्यों और अधिकारियों को निर्धारित साइटों का स्थलीय निरीक्षण करने और इसके लिए तिथि निर्धारण करने के भी निर्देश दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, राज्य निगरानी समिति की स्वतंत्र सदस्य मलिका भनोत, जिलाधिकारी उत्तरकाशी प्रशांत आर्य, यूटीडीबी निदेशक (इंफ्रास्ट्रक्चर) दीपक खंडूरी, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता संजय राय सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
भागीरथी इको सेंसेटिव जोन में सुरक्षात्मक कार्यों को मिलेगी प्राथमिकता: मुख्य सचिव
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