Saturday, July 26, 2025
Homeहोमराष्ट्रीयगंगा दशहरा पर काशी, प्रयागराज में हजारों की संख्या में आए श्रद्धालु

गंगा दशहरा पर काशी, प्रयागराज में हजारों की संख्या में आए श्रद्धालु


वाराणसी/ प्रयागराज । उत्तर प्रदेश के काशी और प्रयागराज में गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गुरुवार को आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। यह उत्सव ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा का अवतरण स्वर्ग लोक से धरती पर हुआ था। गुरुवार की सुबह तड़के से ही दशाश्वमेध घाट सहित अन्य प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।दूर-दराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने मां गंगा की आराधना और पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित किया। गंगा स्नान के साथ ही श्रद्धालुओं ने दीपदान, गंगा आरती और मंत्रोच्चार के माध्यम से गंगा मैया से सुख-शांति और मोक्ष की कामना की। घाटों पर सुरक्षा और व्यवस्था के लिए प्रशासन मुस्तैद रहा। एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें भी घाटों पर तैनात की गईं। काशी की गलियों से लेकर घाटों तक आज का दिन भक्ति भाव और गंगा मैया की जयकारों से गुंजायमान रहा। श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा दशहरा पर काशी में गंगा स्नान का विशेष महत्व है, जिससे सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा वह दिन है जब गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था, और इसी दिन को मां गंगा के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
दशाश्वमेध घाट के तीर्थपुरोहित विवेकानंद ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा कि ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष है। इस दिन को गंगा दशहरा के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए मां गंगा की आराधना कर उनको प्रसन्न किया और मां गंगा को धरती पर लेकर आए। श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और मोक्ष पाने के लिए गंगा जी में डुबकी लगाते हैं। गुजरात के राजकोट से आए महंत विजय महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में गंगा दशहरा का बहुत महत्व है। आज ही के दिन गंगा जी धरती पर अवतरित हुईं थीं।
इसी क्रम में गंगा दशहरा का पर्व संगम नगरी प्रयागराज में भी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस मौके पर प्रयागराज में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आए हुए हैं और ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के साथ ही पूजा अर्चना और दान पुण्य भी कर रहे हैं।
श्रद्धालु महंत गोपाल ने कहा कि गंगा दशहरा के दिन भागीरथ के पूर्वजों के मोक्ष के लिए मां गंगा स्वर्ग लोक से मृत्युलोक में आईं। हम सब भाग्यशाली है जो इस दिन गंगा मां की पूजा अर्चना कर मोक्ष की याचना करते हैं। इस उत्सव के दौरान लोगों के 10 तरह के पाप से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा नाम दिया गया है। गंगा स्थान करने वाले श्रद्धालु के पितरों को भी मुक्ति मिलती है। प्रयागराज में एक रुपये के दान का लाभ एक लाख रुपये के बराबर माना जाता है। सीता जी ने मां गंगा को जगत जननी का नाम दिया है।
एक श्रद्धालु का कहना है, हम गंगा दशहरा के अवसर पर पवित्र स्नान करने के लिए संगम में मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती के तट पर आए हैं। इस स्नान से पितर भी प्रसन्न होते हैं। महाकुंभ के आयोजन के बाद से लोगों में अध्यात्म बढ़ा हुआ है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments