देहरादून। उत्तराखंड आंदोलन में उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति की घटक रही गोरखा संघर्ष समिति ने उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजी) एवं वृक्षाबंधन अभियान (पंजी0) के वैचारिक सहयोग से उज्ज्वल सभागार में उन प्रबुद्ध कलमकारों (पत्रकारों एवं छायाकारों) को सम्मानित किया जिन्होंने कि उत्तराखंड आंदोलन में विशिष्ट रचनात्मक भूमिका निभाई थी एवं वह उत्तराखंड आंदोलन के प्रत्यक्षदर्शी भी रहे थे।
आज सम्मान प्राप्त करने वाले पत्रकारों व छायाकारों में वरिष्ठ पत्रकार श्री सुभाष गुप्ता, श्री जय सिंह रावत, श्री के. एस. बिष्ट, श्री दरबान सिँह, श्री मनमोहन लखेड़ा, श्री प्रकाशमणि धस्माना, श्री अनिल वर्मा, श्री संदीप गोयल, श्री नीरज कोहली छायाकारों में श्री अजय गुलाटी, श्री मंगेश कुमार प्रमुख रहे। कार्यक्रम में वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी श्री मनोज ध्यानी, श्रीमती आशा नौटियाल, श्रीमती तारा पाण्डेय, उत्तराखंड आंगनवाड़ी संगठन की अध्यक्षा श्रीमती रेखा नेगी को भी उनकी सामाजिक क्षेत्र की विशिष्ट भूमिका को दृष्टिगत सम्मानित किया गया।
सम्मान कार्यक्रम को गोरखा संघर्ष समिति के 92 वर्षीय वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी कै0 जे. बी. कार्की ने बतौर अध्यक्ष सम्बोधित करते हुए कथन किया कि उनके मन में यह टीस बनी हुई है कि उत्तराखंड प्रदेश निर्माण की वास्तविक शक्तियों को वह सम्मानजनक स्थान नहीं प्राप्त हुआ जिसके लिए वह लड़े थे। उन्होंने राज्य की दुर्दशा के लिए इस बात को जिम्मेदार ठहराया कि यदि राज्य निर्माण की सही शक्तियों को मौका मिलता तो राज्य की दशा व दिशा सही मार्ग पर बनती परन्तु ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने पत्रकारों एवं छायाकारों के योगदान को पुनः स्मरण करने की बात कही।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में वरिष्ठ पत्रकार रहे श्री सुभाष गुप्ता ने कहा कि उस युग में जबकि आंदोलन चरम पर था तो अपनी आक्रमक एवं स्पष्ट शैली के लिए दो पत्रों (अमर उजाला एवं दैनिक जागरण) को तत्कालीन व्यवस्था का कोपभाजन व प्रताड़ना सहनी पड़ती थी। कभी बिजली काट दी जाती थी तो कभी पानी अवरुद्ध किया जाता था और आये दिन कोई न कोई छापा पड़ना तो आम बात होती थी। उन्होंने कहा कि उस दौर की पत्रकारिता बहुत साहसिक और निर्भीक थी।वरिष्ठ पत्रकार श्री जयसिंह रावत ने अपने सम्मान उद्बोधन में कहा कि उत्तराखंड आंदोलन के दौर की पत्रकारिता में प्रदेश के पत्रकार उत्तराखंड समाज की दुर्दशा को रेखांकित करने का प्रयास करते थे। उनकी कोशिश होती थी कि वह घटना के सही प्रतिरूप को जनता को दिखाएँ। उन्होंने बडी बेबाकी से स्वीकार किया कि अनेकों बार उनकी कलम अपने समाज के लिए दो कदम आगे बढ़कर घटना का उद्विकरण करती थी।
सम्मान समारोह के उपलक्ष मे गोरखा संघर्ष समिति के ज्येष्ठ उपाध्यक्ष कैप्टेन सी. बी. थापा (अ. प्रा.) ने कहा कि आज गोरखा संघर्ष समिति व वृक्षाबंधन अभियान (पंजी0) के द्वारा उन पत्रकारों को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने उत्तराखंड आंदोलन में उत्कृष्ट कलमकार की भूमिका पत्रकारिता क्षेत्र में प्रदान की थी। इन सभी पत्रकारो ने अपनी उत्कृष्ट लेखनी के माध्यम से उत्तराखंड आंदोलन को सड़क से संसद तक पहुंचाया था।
आज के सम्मान कार्यक्रम की वैचारिक सहयोगी रहे वृक्षाबंधन अभियान (पंजी0) के रचियता एवं उत्तराखंड के प्रथम राज्यपाल द्वारा ‘सैनिक शिरोमणि’ से अलंकृत श्री मनोज ध्यानी (वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी) ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में पत्रकार सुभाष गुप्ता, दर्शन सिंह रावत, देवेन्द्र नेगी, (स्व0) राजेश देवरानी, मनमोहन शर्मा, (स्व0) हर्षवर्धन बहुगुणा, अजय गुलाटी, रविन्द्र नाथ कौशिक, प्रताप सिंह परवाना, मंगेश कुमार, संदीप गोयल, मनमोहन लखेड़ा, नीरज कोहली, राकेश चंदोला, प्रो0 आर. बी. पाण्डेय, डॉ0 देवेन्द्र भसीन, के.एस. बिष्ट, जय सिंह रावत, देवेन्द्र सति, इंद्रेश कोहली, अनिल चटर्जी, सुश्री तृप्ति ठाकुर, श्री अनिल वर्मा, विकास गुसाईं, दीपक बर्थवाल, राजेश बर्तवाल, नवीन थलेड़ी, संजय कोठियाल, बी.एल. सकलानी, सुभाष कुमार आदि प्रथम पंक्ति में शानदार पत्रकारिता कर रहे थे। उन्होंने जोड़ा कि यह वह पत्रकार थे जो आंदोलनकारियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए प्रत्यक्ष समाचार संकलित करते थे। उन्होंने कहा कि आज इन पत्रकारों में से कुछ साहसी पत्रकार चेहरे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका राज्य आंदोलन में योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
कार्यक्रम मे अपने उद्बोधन मे श्री प्रकाशमणि धस्माना (वरिष्ठ पत्रकार) ने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन में एक-एक पत्रकार ने आगे बढ़कर अपना फर्ज निभाया था। उन्होंने कहा कि यह अच्छा उठाया गया कदम है कि कोई संस्था जो कि उत्तराखंड आंदोलन की सहभागी थी कि राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पत्रकारों को सम्मानित करने हेतु आगे आई है। उन्होंने कहा कि वैसे इन सभी पत्रकारों को सम्मानित करने का प्रथम कार्य प्रदेश की राज्य सरकार को करना चाहिए था, मगर अफसोस की बात है कि सरकार अपनी अन्य व्यस्तता मे इस बडी जिम्मेदारी को भूल गयी है।
कार्यक्रम को उत्तराँचल प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन लखेड़ा ने संवाधित करते हुए कहा कि राज्य आंदोलन के 30 वर्ष बाद आखिरकार उन पत्रकारों व छायाकारों को याद व सम्मानित किया जा रहा है जो कि सदैव आंदोलनकारियों की वेदना को उठाते रहे। उन्होंने कहा कि राज्य मे आंदोलन की अवधारणा के विरुद्ध बनती योजनाओं पर गंभीर बहस निर्मित करनी चाहिए। उन्होने गोरखा संघर्ष समिति और वृक्षाबंधन अभियान की पहल को उत्कृष्ट बताया और उनका साधुवाद किया। कार्यक्रम को आंगनवाड़ी अध्यक्ष श्रीमती रेखा नेगी, श्रीमती आशा नौटियाल, पत्रकार संदीप गोयल, छायाकार अजय गुलाटी आदि ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम मे उपस्थिति :- कै0 जे. बी. कार्की (अ.प्रा.) (अध्यक्षता), ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी (संचालनकर्ता), कै0 सी. बी. थापा (अ.प्रा.), सम्मानित होने वाले पत्रकार एवं छायाकार:- श्री सुभाष गुप्ता, श्री जय सिंह रावत, श्री प्रकाशमणि धस्माना, श्री के. एस. बिष्ट, श्री दरबान सिँह बिष्ट, श्री नीरज कोहली, श्री मंगेश कुमार, श्री अजय गुलाटी, श्री संदीप गोयल, सम्मानित होने वाले समाजसेवी:- मनोज ध्यानी (वरिष्ठ आंदोलनकारी), श्रीमती आशा नौटियाल, श्रीमती तारा पाण्डेय, श्रीमती रेखा नेगी (अध्यक्ष आंगनवाड़ी संगठन), कार्यक्रम मे उपस्थित प्रबुद्ध समाज सेवी :- श्रीमती मेघा गोयल, सुश्री अर्चना नेगी, श्री मदन सिंह भंडारी, श्री प्रभात डंडरियाल, डॉ मुकुल शर्मा, श्रीमती मीनाक्षी गुलाटी, श्रीमती अनीता शास्त्री, सुश्री अंकिता कार्की, श्री सोहन जुगरान, श्री अनिल शास्त्री, श्री आलोक गुप्ता, श्री राजीव गुरुंग आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम उपरांत सभी अथितियों हेतु सम्मान भोज भी आयोजित किया गया।
उत्तराखंड आंदोलन के प्रत्यक्षदर्शी पत्रकारों काे किया सम्मािनत
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