देहरादून। राज्य में जरूरतमंद लोगों को लोन देने में प्राइवेट बैंकों ने सार्वजनिक सेक्टर के बैंकों को पछ़ाड दिया। जुलाई से सितंबर की तिमाही में प्राइवेट बैंकों का तिमाही ऋण और जमा अनुपात (सीडी रेश्यो) 84.57 प्रतिशत रहा जबकि राष्ट्रीयकृत बैंकों का महज 42.33 प्रतिशत। मंगलवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की उपसमिति की समीक्षा बैठक में यह आंकड़े सामने आने पर वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने सरकारी बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और स्वरोजगारपरक गतिविधियों के लिए अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को ऋण मुहैया कराने के निर्देश दिए। सचिवालय में मुख्य सचिव कार्यालय सभागार में हुई बैठक में जावलकर ने सभी बैंकर्स को निर्देश दिए कि विभिन्न विभागों से बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए लाभार्थियों को चिन्हित करें। साथ ही चिह्नित किए गए लाभार्थियों को लाभ देने के लिए लक्ष्य भी तय किए जाएं। और जो लक्ष्य तय किए जाएं उनका पालन सख्ती से किया जाए।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि जुलाई से सितंबर 2024 तक राज्य का समग्र ऋण जमा अनुपात (सीडी रेश्यो) 53.26 प्रतिशत रहा। जबकि इससे पहली तिमाही में यह 54 प्रतिशत था। इसके साथ ही प्राइवेट बैंकों का इस तिमाही में यह अनुपात 84.57 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्रीयकृत बैंकों का 42.33 प्रतिशत ही हो पाया।
बैठक में सीडी रेश्यो बढ़ाने के सुझाव भी आए। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी विभाग राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी 31 मार्च 2025 तक अभियान चला रहा है। इसमें उत्तराखंड राज्य को 5000 केसीसी खाता खोलने का लक्ष्य दिया गया है। इस अभियान में अधिकतम ऋण दिया जा सकता है। इसी प्रकार ग्लोबल इन्वेस्टर समिट- 2023 में चिन्हित निवेशक,उद्योगपतियों के विभिन्न औद्योगिक इकाइयों और परियोजनाओं को भी बैंक ऋण देने पर सीडी रेश्यो बढ़ाया जा सकता है।
बैठक में एजीएम-आरबीआई धीरज कुमार अरोड़ा, एजीएम-एसएलबीसी राजीव पंत, एजीएम-नाबार्ड शोभना सिंह, जेडी-पर्यटन एसएस सामंत आदि भी मौजूद रहे।
उत्तराखंड में लोन देने में सरकारी बैंकों को प्राइवेट बैंकों ने पछ़ाड़ा
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