देहरादून। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इन दिनों हिमालयन भालुओं की दहशत बनी हुई है। भोजन की तलाश में भालू अक्सर गांवों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे मानव-भालू संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। चमोली जनपद के पोखरी क्षेत्र में आतंक का कारण बने एक काले हिमालयन भालू को वन विभाग की टीम ने पिंजरे में कैद कर देहरादून चिड़ियाघर पहुंचाया है। करीब साढ़े पांच फीट लंबे और लगभग 110 किलो वजनी इस भालू को सुरक्षित बाड़े में रखा गया है। वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. प्रदीप मिश्रा के अनुसार भालू पूरी तरह शांत है और सामान्य व्यवहार कर रहा है। उसे फल और सब्जियां दी जा रही हैं, जिनमें अमरूद उसकी सबसे पसंदीदा डिश बन गई है। सेब, खीरा और गाजर भी उसके आहार में शामिल हैं। फिलहाल चिड़ियाघर प्रशासन ने उसे पर्यटकों के लिए नहीं खोला है और उसकी दिनचर्या पर लगातार नजर रखी जा रही है। चिड़ियाघर में पहले से ही एक काले हिमालयन भालू को रखने की योजना है। यदि राष्ट्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमति मिलती है तो पोखरी से लाया गया यह भालू स्थायी रूप से यहीं रह सकता है। उसके लिए नाइट शेल्टर और आराम की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ों में भालुओं का प्राकृतिक भोजन जैसे बांज के बीज, रिंगाल की पत्तियां और अन्य फूल अब पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन भी इस समस्या का बड़ा कारण माना जा रहा है। भोजन की कमी के चलते भालू निचले इलाकों और आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं। डॉ. मिश्रा के अनुसार भालू इंसान को भोजन समझकर नहीं, बल्कि खतरा मानकर आत्मरक्षा में हमला करते हैं। इस पूरी स्थिति ने वन विभाग और स्थानीय लोगों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पहाड़ों में भोजन की कमी और बदलते पर्यावरण के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष आने वाले समय में और गंभीर रूप ले सकता है।
काला भालू अब दून चिड़ियाघर में सुरक्षित
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