चमोली। उत्तराखंड के सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में नशे के खिलाफ जनजागरण की लहर तेज़ होती जा रही है। ग्रामीण अब संगठित होकर शराब और मादक पदार्थों के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। हेलग, लंगसी और गुलाबकोटी गांवों के लोगों ने सामूहिक रैली निकालकर यह संकल्प लिया कि गांव में होने वाले किसी भी मांगलिक या सामाजिक कार्य में शराब का प्रयोग नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने नशे के दुष्प्रभावों को लेकर चिंता जताई और कहा कि शराब ने समाज की जड़ों को खोखला किया है। युवाओं में बढ़ती लत से परिवार टूट रहे हैं और अपराध की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। इसी कारण गांववासियों ने एकजुट होकर शराब के पूर्ण प्रतिबंध की शपथ ली। रैली में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि नशे की वजह से घरेलू हिंसा और आर्थिक संकट बढ़ते हैं। महिलाएं चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ी नशे से दूर रहे और शिक्षा व रोजगार की ओर अग्रसर हो। युवाओं ने भी संकल्प लिया कि वे किसी भी तरह के नशे से दूर रहेंगे और दूसरों को भी जागरूक करेंगे। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि अवैध शराब और मादक पदार्थों की तस्करी पर सख्ती से रोक लगाई जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता तो वे स्वयं जन आंदोलन खड़ा करेंगे। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह पहल पहाड़ों में नशामुक्त समाज की दिशा में बड़ा कदम है। यदि अन्य गांव भी इसी तरह संगठित होकर नशे के खिलाफ खड़े हों तो पूरे क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। ग्रामीणों का यह संकल्प न केवल सामाजिक कार्यों में शराब पर रोक लगाने का है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण देने का भी है। पहाड़ों में नशे के खिलाफ यह जनजागरण अब आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है।
शराब के पूर्ण प्रतिबंध को लेकर ली शपथ
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