उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड (यूएमईबी) ने बड़ी पहल
देहरादून)। उत्तराखंड के मदरसों में जल्द ही आपको बच्चे संस्कृत में श्लोक और मंत्र पढ़ते दिखाई देंगे। इसकी शिक्षा छात्रों को पंडित देंगे। इसे लेकर उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड (यूएमईबी) ने बड़ी पहल की है। बोर्ड राज्य भर के 416 मदरसों में संस्कृत को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की योजना बना रहा है। इसके लिए बोर्ड ने औपचारिक प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस बदलाव को लागू करने के लिए बोर्ड राज्य के संस्कृत विभाग के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करवाना चाहता है।
संस्कृत के अलावा, मदरसा छात्रों के शैक्षणिक पाठ्यक्रम को समृद्ध करने के लिए कंप्यूटर स्टडीज को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। यूएमईबी के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि बोर्ड ने मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया है, जिसके परिणामस्वरूप इस साल 95 प्रतिशत से ज्यादा छात्रों को सफलता मिली। उन्होंने कहा कि छात्रों के असाधारण प्रदर्शन से पता चलता है कि पाठ्यक्रम में संस्कृत को शामिल करने से उनके शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पहल के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है और इसे लेकर संस्कृत विभाग के साथ चर्चा चल रही है। कासमी ने यह भी बताया कि संस्कृत विभाग के अधिकारियों के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं और उन्हें जल्द ही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड ने 416 मदरसों को पंजीकृत किया है, जो सामूहिक रूप से 70,000 से ज्यादा छात्रों को शिक्षा देते हैं। इसके अलावा, अतिरिक्त मदरसे पंजीकरण के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में हैं और आने वाले सालों में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद, ये मदरसे नए पाठ्यक्रम को लागू करने के लिए संस्कृत शिक्षकों की भर्ती शुरू कर देंगे।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, कासमी ने बताया, ‘अरबी भाषा पहले से ही 100 से ज़्यादा मदरसों में पढ़ाई जा रही है और अगर संस्कृत की कक्षाएं भी जल्द शुरू हो जाती हैं तो यह बहुत खुशी की बात होगी। मौलवी और पंडित दोनों के पढ़ाने से हमारे छात्रों को बेहतर बनाने में काफी मदद मिलेगी।’