Thursday, September 4, 2025
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जितेंद्र कुमार आत्महत्या मामले में अंतिम संस्कार से पहले बवाल


श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड के पौड़ी के तलसारी गांव के 32 वर्षीय जितेंद्र कुमार ने बीते गुरुवार को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। शुक्रवार को जितेंद्र का शव अंतिम संस्कार के लिए तलसारी से बिलकेदार स्थित पैतृक घाट लाया गया। इस दौरान परिजनों और स्थानीय लोगों ने कीर्तिनगर पुल के छोर पर बद्रीनाथ राजमार्ग पर चक्का जाम कर दिया। प्रदर्शनकारी मुख्य आरोपी बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री हिमांशु चमोली को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं।
वायरल वीडियो से शुरू हुई जांच : मृतक ने आत्महत्या से पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो वायरल किया था। इस वीडियो के आधार पर पुलिस ने मुख्य आरोपी हिमांशु चमोली सहित पांच अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। परिजनों का कहना है कि जब तक मुख्य आरोपी को सजा नहीं मिलती या उसे उनके हवाले नहीं किया जाता, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
परिजनों का आरोप : जितेंद्र की बहन पूनम ने बताया कि हिमांशु चमोली उनके भाई को लगातार प्रताड़ित करता था, जिसके कारण वह मानसिक रूप से परेशान था। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने भाई को खोया है, मुझे उसके लिए इंसाफ चाहिए।’ पूनम ने यह भी बताया कि जितेंद्र ने गिरगांव में डंपिंग कूड़े को लेकर लड़ाई लड़ी थी, लेकिन कुछ लोगों ने उस पर झूठा मुकदमा दर्ज करवाया, जिसके बाद से वह और अधिक तनाव में था। गुरुवार को जितेंद्र ने पेट्रोल भराने के लिए पैसे भेजने को लेकर आखिरी कॉल किया था, जिसके बाद वह दो दोस्तों के साथ गांव की ओर निकल गया और आत्महत्या कर ली।
स्थानीय लोगों का गुस्सा : चक्का जाम के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों का कहना था कि भाजपा शासन में जघन्य अपराध चरम पर हैं। उन्होंने अंकिता हत्याकांड और जितेंद्र आत्महत्या मामले में भाजपा नेताओं की संलिप्तता पर सवाल उठाए।
घटना स्थल पर पहुंची उपजिलाधिकारी नुपूर वर्मा ने परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी हिमांशु चमोली को सौंपने या फांसी की सजा सुनिश्चित करने की मांग पर अड़े रहे। पुलिस उपाधीक्षक अनुज कुमार, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक जयपाल सिंह नेगी और कीर्तिनगर पुलिस मौके पर मौजूद रही। पुलिस और प्रशासन यातायात को सुचारु रखने और भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटा रहा, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांग पर लिखित आश्वासन की मांग पर डटे रहे।

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