मुंबई । कर्नाटक के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में हुई लोगों की मौत पर राष्ट्रीय लोक दल के सांसद मलूक नागर ने दुख जाहिर किया। उन्होंने इस भगदड़ के लिए राज्य सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।उन्होंने कहा कि इस दौरान मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के गैर-जिम्मेदाराना बयानों और व्यवहार ने स्थिति को और खराब कर दिया।
सांसद मलूक नागर ने कहा, जिन लोगों ने अपनों को खोया, उनके परिवारों को यह दुख सहने की शक्ति दे और मृतकों की आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना है।
उन्होंने कर्नाटक सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बयानों में गैर-जिम्मेदारी साफ झलकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री के उस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने इस घटना की तुलना कुंभ मेले से की।
नागर ने कहा, कुंभ मेले में 6 करोड़ लोग थे और कई दिनों तक व्यवस्था संभालनी थी, जबकि यहां सिर्फ 3 लाख लोग थे और 3 घंटे की व्यवस्था का सवाल था। फिर भी सरकार नाकाम रही।
उन्होंने उपमुख्यमंत्री के बयान पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने पुलिस को बिना जांच के क्लीन चिट दे दी।
नागर ने कहा, बिना जांच, बिना कमेटी बनाए पुलिस को कैसे क्लीन चिट दे दी? उपमुख्यमंत्री अंदर गए, फोटो खिंचवाए, जबकि बाहर लोग मर रहे थे। यह सरकार की पूरी तरह नाकामी और निकम्मेपन को दर्शाता है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच तल्खी साफ दिख रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री का दावा है कि कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी गई, तो दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री वहां मेहमानों का स्वागत कर रहे थे।
साथ ही, नागर ने कर्नाटक की स्थिति को राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच हुए टकराव की पुनरावृत्ति बताया।
उन्होंने कहा कि सरकार की यह नाकामी और आपसी मतभेद भविष्य में और गंभीर स्थिति पैदा कर सकते हैं। उन्होंने मांग की कि अगर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री में जरा भी शर्म बाकी है, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
सांसद ने कांग्रेस नेतृत्व पर भी निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस में तीन साल से अध्यक्ष नहीं बन सका, जिससे नेताओं में तनाव और भ्रम है।
दूसरी ओर, उन्होंने एनडीए और पीएम मोदी की तारीफ की, जो देश को आर्थिक रूप से चौथे स्थान पर ले जा रहे हैं।
नागर ने सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर भव्य स्वागत का न्योता दिया गया। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को टीम को बुलाया गया, लेकिन प्रशासन और शासन में टकराव के कारण अनुमति का मुद्दा उलझ गया।
उन्होंने कहा, अगर अनुमति नहीं थी, तो इतना बड़ा कार्यक्रम कैसे हुआ? खुफिया तंत्र क्यों नाकाम रहा? सरकार अपनी गलती मानने के बजाय जनता को दोष दे रही है।
उन्होंने चेतावनी दी कि देश अब पहले जैसा नहीं रहा। आज का युवा सब देखता और समझता है। सरकार को अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी, वरना स्थिति और खराब हो सकती है।
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