विकासनगर। निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी से अभिभावकों के उत्पीड़न पर रोक लगाने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विरोध जताते हुए उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। बताया कि शिक्षण संस्थानों की मनमानी से पूरे समाज का आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। ज्ञापन में अभाविप ने बताया कि अच्छी शिक्षा का समान अधिकार सभी को मिले इसकी नैतिक जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की है, जिससे सभी का भरोसा प्रशासन पर बना रहे। लेकिन पछुवादून मे निजी शिक्षण संस्थान हर साल फीस बढ़ा रहे हैं, जिससे अभिभावकों का आर्थिक उत्पीड़न किया जा रहा है। आरटीई के तहत निजी शिक्षण संस्थानो में प्रवेश लेने वाले बच्चों के साथ भेदभाव किया जाता है। कई शिक्षण संस्थानो में इन बच्चों को कक्षाओं में सबसे पीछे बिठाया जाता है। जिससे उन बच्चों के मन में हीन भावना पैदा होती है। बताया कि एनसीईआरटी की किताबों के साथ ही निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव डाला जा रहा है। कई शिक्षण संस्थान छात्रों को जबरदस्ती फेल कर री-टेस्ट के नाम पर मोटी फीस वसूल रहे हैं। शिक्षण संस्थान साल भर होने वाले आयोजनों के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूलते रहे हैं। इसके साथ ही पठन पाठन सामग्री और स्कूल ड्रेस दुकान विशेष से खरीदने का भी दबाव बनाया जाता है। बताया कि निजी शिक्षण संस्थानो की मनमानी से अभिभावकों का आर्थिक, मानसिक शोषण हो रहा है। कई अभिभावक अपने बच्चों का स्कूल बदलने को भी मजबूर हो रहे हैं। लिहाजा इस मनमानी पर रोक लगाई जानी जरूरी है।
ज्ञापन सौंपने वालों में अभाविप के विभाग संयोजक आशीष बिष्ट, जिला संयोजक पलक खन्ना, विक्की ठाकुर, प्रवीण सुमाण, राहुल विद्वान, करिश्मा, प्रियांशी, राकेश, मानसी, अंशित तिवारी आदि शामिल रहे।
निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर एबीवीपी में जतया विरोध
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