उत्तराखंड में बिजली की दर बढ़ाने का चौतरफा विरोध हुआ है। उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (ऊर्जा निगम) की बिजली दरें बढ़ाने की रिव्यू याचिका पर सुनवाई के दौरान विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) में हर वर्ग के लोगों ने बिजली की दर बढ़ाने का विरोध किया। सुनवाई के दौरान सुराज सेवा दल और यूकेडी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन भी किया।
विद्युत नियामक आयोग की ओर से यूपीसीएल की बिजली दर बढ़ाने की रिव्यू पिटीशन को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान आम लोगों के साथ ही उद्योग संगठन और राजनैतिक दलों ने इस पिटीशन का विरोध किया। सामाजिक कार्यकर्ता बीरू बिष्ट ने कहा कि अप्रैल में ही विद्युत नियामक आयोग की ओर से बिजली की दरें बढ़ाई गई थीं।
यूकेडी नेता शांति प्रसाद भट्ट ने भी बिजली की दरों को बढ़ाने का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि यूपीसीएल के साथ ही ऊर्जा के सभी निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं। बिजली की दरों में इजाफा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनसुनवाई में 15 लोगों और संस्थाओं ने आयोग के सामने अपना पक्ष रखा।
सुराज सेवा दल ने किया जोरदार प्रदर्शन :नियामक आयोग के दफ्तर में चल रही जन सुनवाई के दौरान सुराज सेवा दल के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। उन्होंने यूपीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए। सुराज सेवा दल के अध्यक्ष रमेश जोशी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने हंगामा करते हुए कहा कि साल में दो बार बिजली की दर बढ़ाकर यूपीसीएल आम लोगों की जेब पर डाका डालने की फिराक में है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टचार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उनसे वसूली की जाए और उससे बिजली के घाटे को पाटा जाए। जोशी ने सुनवाई के दौरान भी बिजली दर बढ़ाने का जोरदार विरोध किया। सुनवाई के दौरान आयोग के प्रभारी अध्यक्ष डीपी गैरोला और सदस्य तकनीकी एमके जैन ने कहा कि यह सुनवाई यूपीसीएल की रिव्यू पिटीशन को स्वीकार करने या न करने के संदर्भ में की जा रही है।
ऐसे में अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप यहां नहीं लगाए जा सकते। इस अवसर पर सुराज सेवा दल के राजेंद्र पंत, कावेरी जोशी, संजय, मोहनी, मोनिका, सुनीता, उज्जवल और मेहरबान सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
इंडस्ट्रीज एसो. ने याचिका को ही गलत ठहराया
इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने सुनवाई के दौरान यूपीसीएल की याचिका को गलत बताया। उन्होंने कहा कि यूपीसीएल अप्रैल से ही बिजली दरें बढ़ाने को रिव्यू पिटीशन में गया है। उन्होंने कहा कि यूपीसीएल ने 922 करोड़ का घाटा दिखाकर बिजली की दरों में 12.50 प्रतिशत इजाफा करने की याचिका दाखिल की है।उन्होंने कहा कि उद्योग इस रिव्यू पिटीशन का विरोध करता है और यह किसी भी सूरत में स्वीकार करने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कंपनियों से महंगी दरों पर बिजली खरीद के बहाने ढूंढे जा रहे हैं।