इस बार अगर आप फूलों की घाटी की सैर करने की तैयारी कर रहे हैं, तो घाटी में रंग-विरंगे फूल आपका स्वागत करेंगे। इस बार जंगली गुलाब से लेकर अन्य सीजनल फूल अभी से खिल गए हैं, जिससे घाटी की सुंदरता देखते बन रही है। फूलों की घाटी तक पैदल रास्ते की मरम्मत का कार्य भी अंतिम चरण में है।
विश्व धरोहर में शामिल फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क के गेट एक जून को पर्यटकों के लिए खोले जाने हैं। जोशीमठ विकासखंड के गो¨वदघाट से तीन किमी पुलना सड़क मार्ग और फिर यहां से 13 किमी पैदल चलकर फूलों की घाटी के बेस कैंप घांघरिया पहुंचा जाता है।
यहां से तीन किमी पैदल चलकर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क पहुंच सकते हैं। 87.5 वर्गकिमी क्षेत्र में फैली फूलों की घाटी में हर 15 दिनों में अलग-अलग प्रजाति के फूल खिलते हैं, जिससे हर बार घाटी का रंग बदल जाता है। शीतकाल में बर्फ से ढंकी घाटी में इन दिनों बर्फ पिघलने के साथ ही सीजनल फूल खिलने लगे हैं। घांघरिया से दो किमी द्वारीपैरा तक पैदल मार्ग की मरम्मत का काम पूरा हो चुका है।
अब राष्ट्रीय पार्क प्रशासन बामणधौड़, मेरी की कब्र और पिकनिक स्पाट तक पैदल रास्ते की मरम्मत कर रहा है, जो दो दिन में पूरा होने की उम्मीद है। घांघरिया से फूलों की घाटी तक घोड़े खच्चर जाने पर प्रतिबंध है। इसके साथ ही फूलों की घाटी में रात्रि विश्राम की भी इजाजत नहीं है।
फूलों की घाटी में खाने या अन्य सामग्री की किसी दुकान की अनुमति न होने के चलते पर्यटक को अपने साथ ही खाने का सामान लेकर जाना होता है। साथ ही पर्यटक को अपने साथ ले गए सामान का कचरा भी साथ ही वापस लाना होता है।
घाटी में इन दिनों खिले फूल
- प्रिमुला, पोटेंसिला, लिली कोबरा, मोरिना लोंगी फोलिया, जंगली गुलाब आदि।
यह है प्रवेश शुल्क
- भारतीय पर्यटक: 150 रुपये
- प्रति व्यक्ति बच्चे: 75 रुपये
- विदेशी पर्यटक: 600 रुपये प्रति व्यक्ति
डंडी-कंडी मजदूर की दर निर्धारित
- कंडी श्रमिक घांघरिया से फूलों की घाटी और वापसी घांघरिया तक: 25 किलो वजन तक 1300 रुपये, 50 किलो तक 1900 रुपये
- डंडी डोली घांघरिया से फूलों की घाटी तक और वापसी घांघरिया तक: 75 किलो वजन तक 7450, 100 किलो तक वजन: 9850 रुपये
फूलों की घाटी में बर्फ पिघलने के साथ ही विभिन्न प्रजातियों के फूल खिलने लगे हैं। फूलों की घाटी में पर्यटकों के लिए एक जून से गेट खोले जाएंगे। सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। साथ ही कुछ कार्य शेष है, जो तेजी से किए जा रहे हैं।
बृजमोहन भारती, वन क्षेत्राधिकारी, फूलों की घाटी रेंज, गोविंदघाट
फूलों की घाटी में फूलों का खिलना मई से ही शुरू हो जाता है और जुलाई तक विभिन्न प्रजातियों के फूलों का खिलना बना रहता है। समय से पहले फूलों के खिलने जैसी कोई बात नहीं है।
-एनबी शर्मा, उप निदेशक, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व