हरिद्वार कुंभ में कोरोना घोटाला कार्रवाई तय, जांच घपले में कई चौंकाने वाले हुए खुलासे

Manthan India
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हरिद्वार महाकुंभ के दौरान हुए कोविड टेस्टिंग फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट में लैब चयन की टेंडर प्रक्रिया को गलत पाया गया है। इस मामले में अब तत्कालीन मेला अधिकारी स्वास्थ्य की मुश्किल बढ़ना तय है।  हरिद्वार महाकुंभ के दौरान कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया था। जिस पर मेला अधिकारी स्वास्थ्य और अपर मेला अधिकारी को निलम्बित कर दिया गया था।

उसके बाद शासन ने इस प्रकरण की विभागीय जांच कराने के आदेश किए थे। स्वास्थ्य महानिदेशालय में तैनात निदेशक डॉ भारती राणा को यह जांच सौंपी गई। उन्होंने पूरे तथ्यों के आधार पर जांच कर अब रिपोर्ट शासन को भेज दी है। शासन के सूत्रों ने बताया कि उनकी रिपोर्ट में कोविड टेस्टिंग के लिए फर्म के चयन की प्रक्रिया के लिए हुए टेंडर को गलत पाया है।

नियमों के तहत कोविड सैंपल जांच का जिम्मा आईसीएमआर एप्रूव्ड लैब को ही दिया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा करने की बजाए अधिकारियों ने टेंडर एक ऐसी फर्म को दे दिया जिसके पास अपनी कोई लैब ही नहीं थी। टेंडर हासिल करने के बाद फर्म ने प्राइवेट लैबों से करार किया और टेस्टिंग कराई लेकिन उसमें बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आ गया। डॉ राणा की रिपोर्ट महानिदेशालय की ओर से अब शासन को भेजी गई है।

यह है पूरा मामला 
हरिद्वार महाकुंभ के दौरान कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया था। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने उसे सबसे पहले उजागर किया था। उसके बाद हुई इस मामले की प्रारंभिक जांच में बड़े स्तर पर कोविड सैम्पल टेस्टिंग में फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई थी। एक लाख के करीब ऐसी रिपोर्ट पाई गई जो वास्तव में लोगों की हुई ही नहीं और मोबाइल नम्बर के आधार पर रिपोर्ट जेनरेट कर दी गई। इन जांच रिपोर्ट के बिल भुगतान के लिए मेला प्रशासन को दिए गए और करोड़ों का भुगतान भी हासिल कर लिया।

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