गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट उद्घाटन के बाद तीन दिन के अंतराल में 37 हजार से अधिक श्रद्धालु गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के दर्शनों को पहुंचे है। पर्यटन कारोबारियों एवं होटल व्यवसायियों ने खुशी जाहिर की है। अक्षय तृतीय के पर्व पर गत 03 मई को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद प्रदेश में चारधाम यात्रा का विधिवत शुरू हो गई थी।
वहीं शुक्रवार को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट भी विधिवत रूप से श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। दोनो ंधामों में अब तक कुल 37,250 से अधिक यात्री मां गंगा व यमुना के दर्शन कर चुके हैं। यहां गत बुधवार देर सांय तक गंगोत्री धाम में 18302 तथा यमुनोत्री धाम में 18948 तीर्थयात्री मां गंगा व यमुनो के दर्शनों के भागी बने हैं।
केदारनाथ में पहले ही दिन उमड़ा आस्था का सैलाब
केदारनाथ धाम में पहले दिन ही आस्था का सैलाब देखने को मिला। आलम यह था कि यात्री सुबह 3 बजे से ही दर्शनों के लिए लाइन में खड़े होने शुरू हो गए। जबकि देर सांय तक दर्शनों के लिए लाइन में भक्त लाइन में अपनी बारी का इंतजार करते रहे। सुबह केदारनाथ मंदिर से करीब एक किमी लम्बी भक्तों की लाइन लगी रही।
केदारनाथ धाम में कपाट खुलने के दिन इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पहले नहीं दिखाई दिए। यात्रियों में युवा काफी अधिक थे। जोश, उत्साह और उमंग से भरे युवा यात्रियों में मंदिर परिसर में बम बम भोले के जयघोषों से माहौल भक्तिमय बना दिया। जबकि सेना के बैडों की धुनों पर यात्रियों ने जमकर नृत्य भी किया।
गुरुवार को भी केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर बड़ी संख्या में यात्रियों की आवाजाही होती रही। केदारनाथ धाम की यात्रा को लेकर यात्रियों में गजब का उत्साह दिखाई दिया। यात्री रातभर पैदल मार्ग पर चलते रहे और सुबह करीब 20 हजार की संख्या में केदारनाथ दर्शनों के लिए पहुंच गए। इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों को नियंत्रित करने में भी प्रशासन पुलिस को दिक्कतें हुई।
यात्रा: गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रौनक लौटी
केदारनाथ धाम की यात्रा उत्साह के साथ शुरू हो गई। दो साल भले ही कोरोना काल के चलते अपेक्षा के अनुरूप देश-विदेश के लोग केदारपुरी नहीं आ पाए किंतु इस साल रिकार्ड यात्रियों के आने की संभावना है। सबसे सुकून देने वाली बात केदारनाथ पैदल मार्ग की है जो, आपदा के आठ वर्षों बाद पुरानी रौनक में लौट आया है।
ढाबे और दुकानें बीते कई सालों की वीरानी को दूर कर रहे हैं जबकि मार्ग का माहौल आपदा के पहले जैसा नजर आ रहा है। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक इस बार यात्रियों को पैदल मार्ग में खाने, पीने और छोटी बड़ी जरूरतों के लिए परेशान नहीं होना पड़ रहा है। गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव से कुछ ही दूरी से मार्ग में दुकानें खुली हैं।
जबकि चीरबासा, जंगलचट्टी, भीमबली, छोटी लिंचौली, बड़ी लिंचौली, रुद्रा प्वाइंट, बेस कैंप के अलावा भी खाली जगहों पर स्थानीय लोग छोटी-छोटी दुकानें संचालित कर रहे हैं। यात्रियों को इन दुकानों से काफी लाभ मिलेगा। आपदा के आठ साल से यात्रा पर निर्भर लोग एक तरफ से बेरोजगार घर बैठे थे किंतु इस यात्रा ने कई स्थानीय लोगों को अच्छा रोजगार दिया है।
इससे स्थानीय लोग और व्यापारी भी काफी उत्साहित हैं। कई जगहों पर यात्री मनपंसद चीजें खरीद रहे हैं जबकि पैदल मार्ग में सबसे ज्यादा महसूस होने वाला नीबू पानी अब कई जगहों पर मिल रहा है। कुल मिलाकर आपदा से पहले जो नजारा केदारनाथ पैदल मार्ग का दिखाई देता था अब, धीरे-धीरे वही पुरानी पटरी पर लौट रहा है। बारिश होने पर भी यात्री रास्ते के ढ़ाबे और दुकानों में कुछ देर ठहरक्न बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं।