ऐसे करेंगे उत्तराखंड का विकास? पिछले विधायक छोड़ गए 113 करोड़ की विकास निधि, जानें विधायकों का बैकलॉग

Manthan India
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पिछली विधानसभा के माननीय विधायक अपने कार्यकाल में विकास निधि तक पूरी खर्च नहीं कर पाए हैं। नई विधानसभा गठित होने के बावजूद अभी विकास निधि के मद में 113 करोड़ रुपये बाकी हैं। इसमें से ज्यादातर रकम अब वापस होनी तय है।  प्रदेश में विधायकों को प्रति वर्ष 3.75 करोड़ रुपये की विकास निधि मिलती है।कोविड के कारण सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान इसमें एक-एक करोड़ रुपये की कटौती की थी, तो भी प्रत्येक विधायक को पांच साल में निधि के रूप में 18.75 करोड़ रुपये मिले थे। लेकिन विधायकों के खाते में मार्च 31 के बाद भी कुछ ना कुछ रकम जमा है। सभी विधायकों को मिलाकर यह रकम 113.82 करोड़ रुपये बैठ रही है। निधि की नीति के अनुसार जो प्रस्ताव 10 मार्च तक मुख्य  विकास अधिकारी स्तर से स्वीकृत हो चुके हैं, उनके लिए तो बजट जारी होगा।लेकिन जो प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हैं उनका बजट अब विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने पर स्वीकृत नहीं किया जाएगा। इसी तरह नए प्रस्ताव भी अब स्वीकार नहीं होंगे। इस कारण शेष बचा हुआ बजट वापस विभाग के पास जमा हो जाएगा। जो किसी अन्य काम में खर्च किया जाएगा।

1226 प्रस्तावों पर शुरू ही नहीं हो पाया काम 
ग्राम्य विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, सभी विधायकों ने विकास निधि के तहत विकास कार्यों के कुल 63791 प्रस्ताव जमा किए थे, लेकिन पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने तक इसमें से 51362 काम ही पूरे हो पाए हैं। जबकि 1266 प्रस्तावों पर अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है।इसमें से कई विधायक अब चुनाव तक हार गए हैं। पूरे पांच साल में विधायक निधि का कुल 91 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है। इधर, प्रदेश के नवनिर्वाचित विधायकों को विधायक निधि की पहली किस्त इसी माह मिलने की उम्मीद है। ग्राम्य विकास विभाग ने प्रथम चरण में प्रति विधायक डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये की निधि देने का प्रस्ताव तैयार किया है।

टॉप बैकलॉग 
सुबोध उनियाल, नरेंद्रनगर     2.88
मुन्ना सिंह चौहान, विकासनगर     3.16
खजानदास, राजपुर रोड    2.99
प्रेमचंद अग्रवाल, ऋषिकेश    2.87
महेंद्र भट्ट, बदरीनाथ    2.75
सुरेंद्र सिंह नेगी, कर्णप्रयाग     3.44
मुन्नी देवी, थराली    3.91
यशपाल आर्य, बाजपुर     3.26
पूरण फत्र्याल, लोहाघाट     2.61 (आंकड़े करोड़ रुपये में)

विधायक निधि से बेहद महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं। प्रक्रिया लंबी होने के कारण अक्सर निधि खर्च करने में देरी हो जाती है। इससे विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं। इसके चलते हमारा प्रयास रहेगा कि विकास निधि खर्च करने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए। साथ ही अब विकास निधि भी समय से जारी की जाएगी, ताकि विधायकों को उसे खर्च करने का अपेक्षित समय मिल सके।
गणेश जोशी, ग्राम्य विकास मंत्री 

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