उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के दावों के बीच अस्पतालों के लिए स्टाफ नर्सों की भर्ती दो साल से अटकी पड़ी है। नई सरकार बनने के बाद भी नियमों को लेकर स्थिति साफ न होने और बार-बार नियम बदले जाने से भर्ती उलझ गई है।भर्ती न होने से जहां बेरोजगारों की नौकरी की आस टूट रही है तो अस्पतालों में सुविधा के अभाव में मरीज कराह रहे हैं। राज्य के मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में 2800 स्टाफ नर्सों की कमी है। मेडिकल कॉलेजों में 1400 तो सरकारी अस्पतालों में भी तकरीबन इतने ही पद खाली हैं। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने कोरोना काल से पहले 2800 नर्सों की भर्ती करने का निर्णय लिया था।लेकिन आज तक यह भर्ती शुरू नहीं हो पाई है। इस वजह से अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग स्टाफ भारी दबाव में काम करने को मजबूर है। संविदा कर्मियों को हटाए जाने के बाद समस्या बेहद बढ़ गई है। चिकित्सा चयन आयोग के अध्यक्ष डा. डीएस रावत ने बताया कि परीक्षा को लेकर सरकार से दिशा-निर्देशों का इंतजार है।
भर्ती के बीच बदलाव से बढ़ी उलझन
नर्सों की भर्ती को लेकर बार-बार परीक्षा एजेंसी और नियम बदले जाने से सवाल खड़े हो रहे हैं। 2800 पदों के लिए पहले चिकित्सा चयन आयोग से भर्ती का निर्णय लिया गया। लेकिन परीक्षा कार्यक्रम तय होने से पहले ही सरकार ने यह भर्ती तकनीकी शिक्षा विभाग को दे दी।तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर आवेदन मांगे तो परीक्षा कार्यक्रम तय होने के बाद भर्ती स्थगित कर ली गई। दुबारा भर्ती चिकित्सा चयन आयोग को दी गई तो भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद भर्ती के नियम ही बदल दिए। भर्ती के मानक बदले गए तो आज तक उसका शासनादेश नहीं हो पाया जिससे भर्ती शुरू ही नहीं हो पा रही है।