उत्तराखंड में कांग्रेस के छठे सेनापति के रूप में नियुक्त नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का छह बड़ी चुनौतियां भी इंतजार कर रही हैं। करन को न केवल हार से हताश कांग्रेस में उत्साह लाना है, बल्कि अगले साल से सिलसिलेवार शुरू होने जा रहे पंचायत, निकाय और लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को तैयार करना है।नियुक्ति के आदेश के तत्काल बाद हिन्दुस्तान से बातचीत में करन ने कहा कि हाईकमान ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है। अब पूरा फोकस राज्य और जनहित के लिए संघर्ष पर रहेगा। कांग्रेस आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर कभी शांत नहीं बैठेगी। गुटबाजी पर करन ने कहा कि कांग्रेस के सभी नेता-कार्यकर्ता एकजुट हैं। सभी वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन और समकक्षों को साथ लेकर आगे बढ़ा जाएगा।
ये हैं छह चुनौतियां
-हार से हताश संगठन में नई ऊर्जा लानी होगी
-प्रदेश संगठन का गठन तत्काल करना होगा
-स्थानीय क्षत्रपों को साधते हुए एकजुटता के प्रयास
-पंचायत, निकाय, फिर लोकसभा चुनाव की तैयारी
-जनता के बीच जाकर कांग्रेस के प्रति विश्वास जगाना
-बसपा, आप की चुनौती के बीच मजबूत विपक्ष की भूमिका में आना
करन माहरा
-पिता: स्व. गोविंद सिंह माहरा
-माता: कौशल्या माहरा
-मूल निवासी: ग्राम सरोली टाना, विकासखंड ताड़ीखेत, तहसील रानीखेत
-जन्म: 12 जुलाई 1972 (प्रिरंगफील्ड रानीखेत)
-शिक्षा: बीकॉम, एलएलबी
राजनीतिक प्रोफाइल
-1990 में अविभाजित उप्र में कांग्रेस के प्रदेश संगठन मंत्री रहे
-उत्तराखंड राज्य आंदोलन में प्रमुख भूमिका, जेल भी गए
-2003 में ताड़ीखेत के ब्लॉक प्रमुख बने
-प्रमुख कार्यकाल के दौरान 2007 में कांग्रेस के टिकट पर रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और दिग्गज भाजपा नेता अजय भट्ट को पराजित कर विधायक चुने गए
-2012 के विधानसभा चुनावों में मात्र 79 वोटों से अजय भट्ट से पराजित हुए
-2017 के विधानसभा चुनावों में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को पराजित कर पुन: रानीखेत से -विधायक निर्वाचित हुए। साथ ही कांग्रेस विधान मंडल दल के उपनेता चुने गए। विधानसभा आश्वासन समिति के अध्यक्ष भी रहे।
विशेष : करन माहरा के पिता गोविंद सिंह माहरा रानीखेत क्षेत्र के दिग्गज राजनीतिज्ञ थे। अविभाजित उप्र सरकार में वह मंत्री रहे। उन्होंने रानीखेत क्षेत्र में अनेक विकास कार्य कराए।