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सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में हुई एक हत्या मामले में उम्रकैद की सजा पाए एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि मकसद का ‘पूर्ण अभाव’ होना एक अलग रंग लेता है और निश्चित रूप से यह आरोपी के पक्ष में जाता है।
जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस एस.आर. भट्ट और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की बेंच ने साथ ही यह टिप्पणी भी की कि इसका अर्थ यह नहीं है कि मकसद के अभाव में अभियोजन के मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिए।