जल संस्थान और जल निगम की ओर से एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के चलते तहसील क्षेत्र कालसी के देऊ डांडा गांव में एक साल से अधिक समय से पेयजल आपूर्ति ठप है। आपूर्ति को बने जाडी खमरोली डांडा पेयजल लाइन से दोनों गांवों में पानी नहीं आ रहा है। हालत यह है कि ग्रामीण किसी तरह गांव से दूर स्थित प्राकृतिक जल स्त्रोत से काम चला रहे हैं। इधर, गर्मी बढ़ने पर जल स्त्रोत में भी पानी कम होने लगा है। परेशान ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी कालसी सौरभ असवाल से शिकायत की और पेयजल आपूर्ति जल्द दुरुस्त कराने की मांग की।
जाडी सिजला खड्ड से बनी 45 किलोमीटर लंबी खमरोली डांडा पेयजल लाइन से खमरोली, चिबोऊ, सलगा, पजिटीलानी, देऊ, डांडा, देसऊ, ठकरासाधार, भंजरा समेत एक दर्जन से अधिक गांवों को पेयजल आपूर्ति होती हैं। पिछले एक साल से इस लाइन से जुड़े देऊ डांडा गांव में आपूर्ति ठप है। देऊ गांव के पूर्व प्रधान गजेन्द्र सिंह चौहान, कुंदन सिंह चौहान, गुलाब सिंह चौहान, अरविद, गोपाल, अरविद सिंह, जयपाल आदि का कहना है कि पजिटीलानी से आगे गांवों में पानी नहीं आने से दिक्कत हो रही है। शिकायत कई बार जल संस्थान के अलावा तहसील प्रशासन से की गई, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। कोई भी अधिकारी कर्मचारी समस्या देखने के लिए मौके पर नहीं पहुंचा। पिछले एक साल से प्राकृतिक जल स्त्रोत से पानी लाना पड़ रहा है, जिसके चलते उनका पूरा समय बर्बाद होता है।
एक दूसरे की जिम्मेदारी बता रहे जल निगम और संस्थान
साहिया: देऊ व डांडा के ग्रामीण यह नहीं समझ पा रहे कि आखिर पेयजल लाइन किस विभाग के पास है, क्योंकि जल संस्थान के अवर अभियंता पुष्कर सिंह का कहना है कि खमरोली जाडी पेयजल योजना 45 किलोमीटर लंबी लाइन है, जिसमें खमरोली से चिबोऊ पजिटीलानी तक पानी आ रहा है, उतनी ही लाइन जल संस्थान के पास है। उससे आगे जल जीवन मिशन के तहत जल निगम के पास है। ठप पेयजल आपूर्ति सुचारू करने का काम जल निगम का है। वहीं जल निगम के अधिशासी अभियंता एसके बरनवाल का कहना है कि खमरोली जाडी पेयजल लाइन जल संस्थान के पास है, उनके पास यह योजना नहीं है, क्योंकि जल निगम ने योजना का निर्माण कराकर जल संस्थान को हैंडओवर कर दी थी। दोनों विभागों के अधिकारियों का एक दूसरे पर जिम्मेदारी बताने से ग्रामीणों की समस्या तस की तस बनी हुई है।