उत्तराखंड सरकार में 11 मंत्रियों के मानक के बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को केवल आठ मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया। तीन पद खाली रखने जाने के पीछे कई निहितार्थ निकालने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि यह प्रयोग खास रणनीति के तहत दोहराया गया है।
वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपनी कैबिनेट की तीन सीट खाली रखीं। हालांकि नेतृत्व बदला तो कैबिनेट के सभी पद भरने पड़े। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया-वर्तमान में मंत्री पद के कई दावेदार हैं। यदि कैबिनेट की सभी सीटें अभी भर दीं तो अन्य विधायकों के लिए उम्मीद एक तरह से खत्म हो जाती।
ऐसे में पार्टी में असंतोष बढ़ने का खतरा रहता। लेकिन कैबिनेट की तीन सीटों को खाली छोड़कर मुख्यमंत्री धामी ने विधायकों के लिए गुंजाइश छोड़ी है। एक दूसरे वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि मंत्री के तीन पद खाली होने की वजह से पार्टी का कोई भी विधायक सीधे तौर पर नाराजगी भी नहीं दिखा पाएगा।
मंत्री बने अब विभागों के बंटवारे की बारी
धामी 2.0 सरकार में कांग्रेस गोत्र के मंत्रियों का दबदबा है। नये आठ मंत्रियों में से चार कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। इनमें सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, व रेखा आर्य कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं जब कि, सौरभ कांग्रेस में सक्रिय नहीं रहे पर उनके पिता विजय बहुगुणा कांग्रेस में थे।
इधर, मंत्रिमंडल गठन के बाद अब सबकी निगाहें विभागों के बंटवारे पर हैं। हर मंत्री की नजर खासकर लोनिवि, ऊर्जा, पर्यटन, हेल्थ, खनन, ग्राम्य विकास, वन एवं पर्यावरण और सूचना विभाग पर है। जनता से सीधे जुड़े होने के चलते ये विभाग सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाते हैं। सूत्रों के अनुसार सीएम विभागों को लेकर मंथन कर रहे हैं। विभागों का बंटवारा जल्द कर दिया जाएगा।