शिक्षा विभाग में महालेखाकार (लेखा परीक्षा)-कैग ने आर्थिक अनियमितता के मामले तो पकड़े ही हैं। साथ ही स्कूलों के अनुदान, मान्यता देने में अफसरों की लापरवाही के भी कई केस पाए। शिक्षा अफसरों ने अशासकीय स्कूलों को अनुदान देने में नियमों को ताक पर रखा ही साथ ही बिना मान्यता चल रहे स्कूलों की तरह से भी आंखे मूंदे रखी वर्ष 2011 से अब तक की विभिन्न आडिट आपत्तियों पर अफसरों के उदासीन रूख पर कैग की नाराजगी के बाद धीरे धीरे शिक्षा विभाग की पोल खुल रही है।
बेसिक-माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ ही समग्र शिक्षा अभियान के भी कई पुराने मामलों से परते हट रही हैं। समग्र शिक्षा अभियान के एसपीडी बंशीधर तिवारी ने भी सभी जिला परियोजना अधिकारियों को कैग द्वारा उठाए गए 190 से ज्यादा मामलों की लिस्ट भेजी हैं। परियोजना अधिकारियों से सभी मामलों में तत्काल वस्तुस्थिति की रिपोर्ट देने को कहा है।
ये मामले भी आए सामने:
1.-देहरादून, यूएसनगर,पौड़ी, चमोली, टिहरी, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर- बुनियादी सुविधाओं के मानक पूरे ने करने वाले अशासकीय स्कूलों को भी अनुदान जारी रखा।
2.- पौड़ी, नैनीताल,चमोली में सात स्कूलों को मानकों की अनदेखी करते हुए मान्यता दे दी गई
3.- हवालबाग, ऊखीमठ, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, चमोली में अधिकारियों की लापरवाही के कारण 35 स्कूल एक से पांच साल तक बिना मान्यता के संचालित होते रहे।
4.- माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने जियोलॉजिकल सर्वे कराए बिना और निर्माण कार्य का एमओयू कराए बिना ही कार्यदायी संस्था 99.41 लाख रुपये जारी कर दिए