
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत पहले जैसा भारत नहीं रहा। एक वक्त था जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी बातों को उस गंभीरता से नहीं लिया जाता था, जिस तरह लिया जाना चाहिए। पर अब उसकी हर बात कान खोलकर सुनी जाती है। कहा कि विश्व में भारत की छवि अब एक शक्तिशाली राष्ट्र की है।
रक्षा मंत्री ने शनिवार को देहरादून के चीड़ बाग स्थित शौर्य स्थल का लोकार्पण किया। उन्होंने शहीद जसवंत सिंह मैदान में पूर्व सैनिकों की रैली को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि इस वक्त देश देश लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल व बिहू, समृद्धि के विभिन्न पर्व एक साथ मना रहा है। ये सभी पर्व समृद्ध कृषक संस्कृति के प्रतीक हैं। ये समृद्धि केवल उर्वरक भूमि, उन्नत बीज, खाद, पानी या नई तकनीक से ही नहीं बल्कि मिली, बल्कि देश की सुरक्षा भी इसमें एक महत्वपूर्ण घटक है।
उन्होंने कहा कि हमारे सैनिकों का भी देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में अप्रत्यक्ष योगदान है। देश सुरक्षित है तभी प्रगति भी कर रहा है। सीमाएं सुरक्षित नहीं होंगी तो बड़े से बड़े निवेश का कोई महत्व नहीं रह जाता। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति खाने में नमक की तरह है। नमक कम या ज्यादा होता है, तभी इसका जिक्र होता है।
इस दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय, मध्य कमान के जीओसी इन सी ले. जनरल योगेंद्र डिमरी, उत्तर भारत एरिया के जीओसी ले. जनरल जेपी मैथ्यू, उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल संजीव खत्री, छावनी परिषद देहरादून के सीईओ अभिनव सिंह आदि मौजूद रहे। समारोह स्थल पर पूर्व सैनिकों की समस्याओं का समाधान करने और सरकार की ओर से संचालित सैनिक कल्याण योजनाओं की जानकारी देने के लिए कई स्टाल भी लगाए गए थे।
भीष्म पितामह की तरह संकल्पित हैं सैनिक
रक्षा मंत्री ने भीष्म पितामह का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय पौराणिक कथाओं में उनके जैसा कोई नहीं है। वह अपनी प्रतिज्ञा के साथ इस तरह जिए कि उनका नाम आज भी संकल्प का पर्याय बना हुआ है। कहा कि हमारे सैन्यकर्मी भी दृढ़ संकल्प का पर्याय हैं। चाहे बारिश हो या धूप, वे वही करते हैं जो वे करना चाहते हैं। पूर्व सैनिक भी समाज के लिए संकल्पित हैं। पूर्व सैनिकों को उन्होंने संत के समान बताया। कहा कि एक संत समाज की उन्नति, समाज का हित चाहता है। इस कसौटी पर पूर्व सैनिक खरे उतरते हैं। वह हमारी पूंजी हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम, कृष्ण, आदी शक्ति दुर्गा सहित जितने भी देवी-देवता हैं, वह वेटरन की ही श्रेणी में हैं। समाज में उच्च आदर्श प्रस्तुत कर ही वह आदर्श व्यक्तित्व बने।
मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है
रक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तराखंडी वीरों का हौसला, उनका जोश और उनका साहस सबसे ऊंचा है। इनके सामने ऊंची से ऊंची चीजें भी बौनी पड़ जाती हैं। देश को जब-जब जरूरत पड़ी है, उत्तराखंड के जांबाजों ने अपने अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए, देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की सुरक्षा की है। कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को आज कौन नहीं जानता है, जिन्होंने अपने निजी हितों को दांव पर लगाते हुए भारत देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लडऩे वालों का साथ दिया था।
इसी तरह उत्तराखंड की धरती के अनेक जांबाज रहे हैं, जिन्होंने भारत के भविष्य के लिए अपना वर्तमान स्वाहा कर दिया। राष्ट्र की वेदी पर जब आहुतियां पड़ने लगीं, तो क्या देहरादून, क्या पिथौरागढ़, क्या उत्तरकाशी, क्या उधमसिंह नगर, उत्तराखंड के जवान अपनी जान हथेली पर लेकर खड़े हो गए। आप जैसे देश के वीर प्रहरियों के बीच पहुंचता हूं, तो मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है।
मैं -14 डिग्री में गया, दून जाने से क्यों डराया जा रहा
रक्षामंत्री ने कहा कि जब इस कार्यक्रम की रूपरेखा बन रही थी, तो मुझे कहा गया कि दून में बहुत ठंड है। उन्होंने जवाब दिया कि वह गृहमंत्री रहते -14 डिग्री सेल्सियस में रात को रुक चुका हूं। उन्हें दून जाने से क्यों डराया जा रहा है। कहा कि पूर्व सैनिकों से सीधा संवाद उनकी प्राथमिकता रही है। वेटरन का हिमालय या सियाचीन में भी कोई आयोजन होता है तो जरूर जाऊंगा।
पूर्व सांसद का जताया आभार
रक्षामंत्री ने कहा कि शौर्य स्थल में समाज के जिस किसी भी व्यक्ति का योगदान है उनका आभार। खासकर पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय उन्होंने धन्यवाद अदा किया। कहा कि उन्होंने अपनी निधि से यह पहल की। उन्होंने शौर्य स्थल के भव्य स्वरूप की भी सराहना की।
जवान गोली का जवाब गोलों से दे रहे: धामी
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से ओतप्रोत हमारे सैनिकों ने देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखा है। आज गोली का जवाब गोलों से दिया जा रहा है। कहा कि मेरा बचपन सैनिकों के बीच बीता है। एक वक्त था जब विषम परिस्थितियों में अपनी सेवा दे रहे सैनिकों को पर्याप्त साजो सामान भी नहीं मिलता था। आज सेना को अच्छे से अच्छा साजो सामान मिल रहा है। सेना में उच्च पदेन किसी अफसर का एक सिपाही से भी बहुत अच्छा और घनिष्ठ संबंध होता है। ये मार्मिक और व्यवहारिक पक्ष हमारी सेना की पहचान है। उन्होंने दिसंबर तक सैन्य धाम का निर्माण पूरा करने की बात कही। कहा कि उत्तराखंड में सैनिक कल्याण के रूप में गणेश जोशी इसके लिए बेहतर कार्य कर रहे हैं। पदक विजेताओं की सम्मान राशि और वीर नारियों की पेंशन में वृद्धि की गई है।
सोल आफ स्टील’ किया लॉन्च
रक्षा मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक पहल ‘सोल आफ स्टील’ अल्पाइन चैलेंज को भी लॉन्च किया। भारतीय सेना और पूर्व सैनिकों के एक संगठन क्ला ग्लोबल की इस संयुक्त पहल के तहत विभिन्न रोमांचक गतिविधियां संचालित की जाएगी। इस दौरान रक्षा मंत्री ने 460 किलोमीटर लंबी कार रैली ‘रोड टू द एंड’ को भी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली अगले तीन दिनों में चमोली जिले के नीती गांव के पास गढ़वाल हिमालय में अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचेगी।