प्राकृतिक जलस्रोतों का बदला रास्ता और सूखते कुंड हो सकते हैं तबाही का सबब, जांच NIH को

Manthan India
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अनियंत्रित निर्माण कार्यों से जोशीमठ और उसके आसपास के कई प्राकृतिक जलस्रोतों ने अपना रास्ता बदल लिया है। इससे जोशीमठ के कई प्राकृतिक कुंड सूख गए हैं, जो स्थानीय लोगों की प्यास बुझाते थे। वैज्ञानिकों को आशंका है कि कहीं यही प्राकृतिक जलस्रोत अपना रास्ता बदलकर जोशीमठ की जमीन के नीचे नया रास्ता बनाकर वर्तमान संकट का कारण तो नहीं बन गए हैं। जोशीमठ में हुई वैज्ञानिकों की बैठक में पहली आशंका यही जताई गई। इसकी जांच का जिम्मा राज्य सरकार ने रुड़की के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाईड्रोलॉजी (एनआईएच) को सौंपा है।

जोशीमठ शहर ढलान पर बसा है। इस ढलान का सबसे ऊपरी हिस्सा सुनील नाम की जगह है। यह गांव औली और जोशीमठ के बीच बसा है। सुनील के कुछ घरों में भी दरारें दिखीं हैं। सुनील के गांव वालों ने बताया कि यहां ऊपर एक जलकुंड था। एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के तहत जब सुनील के करीब टनल बनने का काम शुरू हुआ तभी से सुनील कुंड का पानी सूख गया। ये कुंड बरसों से गांव की न केवल प्यास बुझाता था, बल्कि पानी से जुड़ी सारी जरूरतें पूरी करता था। जोशीमठ के ऊपरी क्षेत्र में स्वीधारा नाम के तीन अन्य प्राकृतिक स्रोत थे जो सूख गए। अब लोगों ने वहां अपने घर बना लिए।

उमा भारती ने एनटीपीसी टनल परियोजना को बताया आपदा
भाजपा की वरिष्ठ नेत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को डिजास्टर करार देते हुए कहा कि मैंने आवाज उठाई तो मेरा विभाग बदल दिया गया था। मैं बोलती रही। मंगलवार को जोशीमठ पहुंचीं उमा भारती ने निरीक्षण के बाद मीडिया से बातचीत में भू-धंसाव के कारणों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, दिल्ली में बैठे नियम बनाने वालों को कहा, वे न तो टनल में मरते हैं और न ही इधर आते हैं। आते भी हैं तो हेलिकॉप्टर से आते हैं।

गुप्तकाशी में भी धंस रही जमीन
केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव गुप्तकाशी भी सुरक्षित नहीं है। यहां चारों तरफ से धीरे-धीरे जमीन धंस रही है जो कभी भी बड़ी अनहोनी का कारण बन सकती है। बाजार में पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है जिससे बरसाती, स्रोतों व घरों का पानी जहां-तहां फैल रहा है। रावल व खाखर गदेरे के बहाव से भी बचाव के कोई इंतजाम नहीं हो पाए हैं। ग्राम पंचायत के साथ ही गुप्तकाशी केदारघाटी का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र भी है लेकिन यहां की सुरक्षा आज भी भगवान भरोसे है।

बाजार का निचला हिस्सा भू-धंसाव की चपेट में है। वहीं दोनों तरफ बहने वाले रावल व खाखर गदेरा बरसात में रौद्र रूप में बहते हैं जिससे संबंधित क्षेत्रों में हालात नाजुक हैं। विश्वनाथ मंदिर परिसर में गंगा-यमुना की जल धाराओं से निकलने वाले पानी की निकासी की आज तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है जिससे यह पानी रास्ते में जमा होने के साथ घरों तक पहुंच रहा है।

कैबिनेट सचिव ने जाने हालात, जांच समय पूरा करने के आदेश : देहरादून। केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्र में सभी निवासियों की पूर्ण और सुरक्षित निकासी तत्काल प्राथमिकता होनी चाहिए।

भू-धंसाव का खास सीढ़ीदार पैटर्न
वैज्ञानिकों ने जांच के दौरान यह भी पाया कि ताजा भू-धंसाव का एक खास सीढ़ीदार पैटर्न है। अमर उजाला की टीम ने भी देखा कि सुनील के ठीक नीचे मनोहरबाग है जहां सबसे  ज्यादा घरों में दरारें पड़ीं। उसके ठीक नीचे जेपी कॉलोनी है जहां सबसे ज्यादा और गहरी दरारें पड़ीं। यहां अज्ञात जलस्रोत पिछले आठ दिन से लगातार बह रहा है। इसके नीचे मारवाड़ी वार्ड है जहां कई घरों में दरारें हैं। इस तरह जोशीमठ शहर के ऊपर से लेकर नीचे तक तकरीबन एक किमी के क्षैतिज क्षेत्र  में एक खास पैटर्न देखने को मिल रहा है।

ये जियो टेक्निकल और जियो फिजिकल जांच से ही पता चलेगा कि जमीन के अंदर किस जलस्रोत ने रास्ता बदला है। जो काम हमें सौंपा गया है उसके परीक्षण में वक्त लगेगा।
-डॉ. गोपाल कृष्ण, वैज्ञानिक, एनआईएच रुड़की

वैज्ञानिक जांच पूरी होने तक इस अज्ञात जलस्रोत के बारे में निश्चित तौर पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके वैज्ञानिक परीक्षण का काम हमने एनआईएच के वैज्ञानिकों को सौंपा है।
-डॉ. रंजीत सिन्हा, आपदा सचिव, उत्तराखंड

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