
सावधान, अगर आप मांसाहारी हैं तो जान लीजिए। जो चिकन और मीट आप खा रहे हैं, वह विषाक्त या रोगग्रस्त हो सकता है। क्योंकि, देहरादून में नियमों को ताक पर रखकर मांस बेचा जा रहा है। नगर निगम को यह तक नहीं पता कि बकरे और मुर्गे कहां से आ रहे हैं और कहां काटे जा रहे हैं।
जो कि मांस के शौकीन लोगों के लिए चिंता की बात है। क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जो मांस आप खा रहे हैं वो आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक है या नहीं। इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने भी नगर निगम से सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी थी लेकिन निगम कोई जानकारी नहीं दे पाया। उनका कहना है कि नगर निगम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
नगर निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग के बीच पिस रही जनता
मांस की गुणवत्ता के सवाल पर निगम निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग एक-दूसरे पर दोष डाल रहे हैं। इन दोनों के बीच जनता पिस रही है। नगर निगम का कहना है कि दुकान का लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग देता है तो मांस की गुणवत्ता की जिम्मेदारी भी उनकी है। जबकि खाद्य सुरक्षा विभाग का कहना है कि नगर निगम ही दुकानों का निरीक्षण और चालान करता है। इसलिए मांस को लेकर सारी जिम्मेदारी उनकी ही है।
निरीक्षण के दौरान लाइसेंस और खरीद का पर्चा दिखाते हैं कारोबारी
नाम न छापने की शर्त पर कुछ मांस विक्रेताओं ने बताया कि दून में कोई व्यवस्था न होने के चलते वह खुद ही बकरे काटते हैं। जब भी निरीक्षण होता है तो वह दुकान का लाइसेंस और सहारनपुर आदि स्थानों से मांस की खरीद का फर्जी पर्चा दिखा देते हैं।
अब नया नियम बनाएगा नगर निगम