चंपावत जिले के अकेले आदिम जाति वनरावत गांव खिरद्वारी के लिए आजादी और विकास के कोई मायने नहीं हैं। यहां के लोग आज भी बिजली, सड़क, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। बिडंबना यह है कि यहां विभागीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी जाना मुनासिब नहीं है।
मुश्किल से यहां अधिकारी और जनप्रतिनिधि पहुंचते जरूर हैं, लेकिन जिला मुख्यालय से 51 किमी दूर पोथ ग्राम पंचायत के इस गांव में सुविधाओं के लिहाज से कुछ भी नहीं है। गांव को जोड़ने के लिए एक अदद सड़क नहीं होने के कारण यहां विकास के सभी रास्ते बंद हो गए हैं।
12 किमी पैदल रास्ता तय कर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं ग्रामीण
विकास की उपलब्धि मानें तो सिंचाई योजना और सौर ऊर्जा प्लांट की पहुंच के बाद सारी कहानी समाप्त हो जाती है। मामूली इलाज के लिए लोग 12 किमी दूर चल्थी तक पैदल रास्ता तय कर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं। यहां से 36 किमी दूर टनकपुर या फिर 51 किमी दूर जिला मुख्यालय चंपावत का सफर वाहन से तय करना पड़ा है।
सरकारी राशन लेने के लिए भी यहां के लोगों को चल्थी पहुंचना होता है। वर्ष 2010 में गांव में बिजली के पोल गाड़ दिए गए थे, लेकिन अभी तक इन पर करंट नहीं दौड़ा है। दो साल पहले गांव में सौर उर्जा से लाइट की व्यवस्था की गई, लेकिन इस समय सोलर प्लांट की कई बैटरियां खराब होने के कारण 27 में से 13 परिवारों के घरों में अंधेरा पसरा हुआ है।
500 मीटर लंबा रज्जू मार्ग बदहाल
सिंचाई योजना से 50 हेक्टेयर भूमि की ही सिंचाई हो पाती है। शिक्षा के नाम पर एक जूनियर हाईस्कूल व एक आंगनबाड़ी केंद्र है। उप प्रधान जीत सिंह ने बताया कि खिरद्वारी गांव में 153 वन रावत हैं।