खिरद्वारी से लोढि़यालसेरा गांव को जोड़ने वाला 500 मीटर लंबा रज्जू मार्ग बदहाल हो गया है। बरसात में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनाती लधिया नदी पार करते हैं। लोगों को अनाज पिसवाने के लिए लोढि़यालसेरा गांव आना पड़ता है।

खिरद्वारी से लोढि़यालसेरा गांव को जोड़ने वाला 500 मीटर लंबा रज्जू मार्ग बदहाल हो गया है। बरसात में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनाती लधिया नदी पार करते हैं। लोगों को अनाज पिसवाने के लिए लोढि़यालसेरा गांव आना पड़ता है।

प्रकृति ने दिया सुंदरता का उपहार

घने जंगलों और ऊंची पहाडिय़ों की तलहटी में बसे खिरद्वारी गांव को प्रकृति ने खूब नेमत बख्शी है, लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने इस गांव की सीरत और सूरत दोनों बिगाडऩे में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

यहां अधिकारी पहले पहुंचते ही नहीं, मुश्किल से पहुंचते हैं भी तो विकास का आश्वासन देकर लौट आते हैं। अधिकारियों की अब तक की सभी घोषणाएं हवा हवाई साबित हुई हैं।

गगन सिंह रावत के मामा को है खिरद्वारी गांव बसाने का श्रेय

खिरद्वारी गांव को बसाने का श्रेय धारचूला के दो बार के विधायक रह चुके गनन रजवार के मामा दान सिंह को है। दान सिंह का दो साल पहले 104 साल की उम्र में निधन हो गया था। दान सिंह के दोनों बेटों की पहली ही मौत हो गई थी। अभी उनके परिवार में उनकी बहू और पौत्र हैं।

पूर्व ग्राम प्रधान लक्ष्मी देवी ने बताया कि वर्ष 1948 में पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट तहसील के वनरावत गांव से स्व. दान सिंह अपने पिता के साथ खिरद्वारी गांव में आने वाले पहले व्यक्ति थे। 1952 के पहले आम चुनाव से निधन होने तक वे 31 बार वोट देने वाले शतकवीर मतदाता बने। जनवरी 2019 में चौथी बार शतायु मतदाता के रूप में निर्वाचन आयोग की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया था।

वन रावत गांव खिरद्वारी के विकास के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान गांव में खोलने का प्रस्ताव पूर्ति विभाग को भेजा गया है। सौर उर्जा के सिंचाई प्लांट पर बैटरी लगाकर ग्रिड की बिजली देने के लिए नलकूप और उर्जा निगम लगातार काम कर रहा है। रोपवे में सुधार के लिए ब्रिडकुल से कहा गया है। जूहा को उच्चीकरण करने का प्रस्ताव सीएम कैंप कार्यालय को भेजा गया है।