मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा चुनाव 2022 में हार से कई फैसलों का क्रियान्वयन अधर में लटक गया है। बीती पांच जनवरी को धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिए गए चालीस महत्वपूर्ण फैसलों के विधिवत जीओ नहीं हुए हैं। इन फैसलों से लाभान्वित होने वाले सैकड़ों लोग परेशान है कि जीओ न होने से कहीं कैबिनेट के फैसले डंप होकर न रह जाएं।
क्रांतिकारी शिक्षा मित्र संघ की प्रदेश अध्यक्ष प्रियंका शर्मा कहती हैं कि यदि इस निर्णय पर जीओ न हुआ तो भविष्य में कैबिनेट के फैसलों पर विश्वास कैसे होगा? कैबिनेट ने शिक्षामित्रों का मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने का निर्णय किया था। कैबिनेट के फैसलों की चिंता शिक्षामित्रों की नहीं है बल्कि इनसे जुड़े हजारों लोगों की भी है।
इसलिए है लोग परेशान : कैबिनेट में अतिथि शिक्षकों को लेकर हुए दो फैसलों पर सरकार ने बैकफुट पर आ चुकी है। चार जुलाई की पहली अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने और गृह जनपद में तैनाती का फैसला भी कैबिनेट में हुआ था लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उस पर अमल नहीं किया।
नर्स भर्ती लटकी: राज्य के अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों के लिए करीब 26 सौ पदों पर नर्सों की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर करने का निर्णय हुआ था। धामी कैबिनेट की अंतिम बैठक में इस पर मुहर लगी थी पर इस संदर्भ में आदेश न होने से यह भर्ती अटकी है। स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने को बनाई नई नीति का आदेश भी नहीं हुआ है। अंतिम कैबिनेट में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को डीएसीपी देने के निर्णय के भी आदेश नहीं हो पाए हैं।
पूर्ववर्ती सरकार भी भाजपा की ही थी और जनता ने विश्वास जताते हुए अब भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया है। तकनीकी वजहों से कुछ फैसलों पर भले ही जीओ नहीं हुए हों पर आश्वस्त रहें, कैबिनेट में लिए गए हर फैसले पर अमल होगा।