उत्तरकाशी के द्रौपदी डांडा टू आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए निम के पर्वतारोहियों की जान हिमस्खलन की चपेट आते ही हो गई थी। पोस्टमार्टम के दौरान कई पर्वतारोहियों के गले में बर्फ के टुकड़े भी मिले हैं। उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में अब तक 21 पर्वतारोहियों के शवों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है।
पोस्टमार्टम करने वाले पैनल में शामिल डॉ.पीएस पोखरियाल ने रविवार को बताया, हादसे के तत्काल बाद दम घुटने से सभी पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम के दौरान कई पर्वतारोहियों के शवों के गले में बर्फ के टुकड़े भी पाए गए। किसी भी पर्वतारोही के शरीर पर चोट के निशान नहीं मिले हैं।
उधर, आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि क्रेवास (हिमदरार)की गहराई अधिक होने और वहां सांस लेने को जगह नहीं मिलने से सभी की मौत हो गई होगी। कुछ जानकारों का कहना था कि यदि क्रेवास में सांस लेने लायक जगह मिल जाती तो उनकी मौत तत्काल नहीं होती।
छह दिन बाद जीवित मिला था जवान फरवरी, 2016 में सेना का एक दल सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आ गया था। इसमें नौ जवानों की मौत हो गई थी पर क्रेवास में फंसे लांसनायक हनुमनथप्पा छह दिन बाद जीवित मिले थे।