पीढ़ियों से रावण, कुंभकर्ण व मेघनाथ का पुतला बनाने का काम कर रहे शकील अहमद का परिवार भी गंगा-जमुनी तहजीब व भाईचारे की मिसाल कायम कर रहा है। रुड़की में विभिन्न स्थानों पर इन दिनों रामलीला मंचन की धूम है। घर और मंदिरों में मातारानी का पूजन किया जा रहा है तो मंचों पर प्रभु की लीलाएं दर्शकों को अच्छाई के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

वहीं शहर में दशहरे मेले की भी तैयारियां आरंभ हो गई हैं। मेले का सबसे बड़ा आयोजन नेहरू स्टेडियम में होता है। शहर के अलावा देहात क्षेत्र से भी हजारों की संख्या में लोग परिवार सहित स्टेडियम में रावण दहन देखने पहुंचते हैं। इस बार भी रामलीला मंचन के साथ ही दशहरा पर्व धूमधाम से मनाए जाने के लिए लोग उत्साहित हैं और जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं।इस बार रुड़की के नेहरू स्टेडियम में लगने वाले दशहरे मेले में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाथ का पुतला बनाने का काम पुरकाजी निवासी शकील अहमद को मिला है। उन्होंने बताया कि यह कार्य उन्हें विरासत में मिला है।

होश संभालने के साथ ही बचपन से ही वह रावण, कुंभकर्ण व मेघनाथ का पुतले बना रहे हैं। पुतला बनाने का काम उनका परिवार पीढ़ियों से करता आ रहा है। उनके पिता, दादा और परदादा आदि रावण का पुतला बनाने का काम करते थे। अब यह काम उन्होंने संभाल लिया है।वह पहली बार रुड़की में रावण का पुतला बना रहे हैं। अब तक वह ज्यादातर पंजाब के लुधियाना में ही रावण का पुतला बना रहे थे। उन्होंने बताया कि नेहरू स्टेडियम में वह 60 फीट ऊंचा रावण का पुतला बना रहे हैं। उनकी टीम में पांच लोग हैं, जो दिनरात लगकर दशहरे से पहले यह तीनों पुतले तैयार कर देंगे।