नैनीताल में संरक्षित प्रजाति के हरे पेड़ काटने पर एनजीटी गंभीर, सीसीएफ, कमिश्नर और पीसीबी से मांगी रिपोर्ट

Manthan India
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नैनीताल में व्यावसायिक व निजी निर्माण के लिए संरक्षित प्रजाति बांज, सुरई समेत अन्य प्रजातियों के हरे पेड़ों को काटने का नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने संज्ञान लिया है। NGT ने प्रमुख वन संरक्षक (Chief Conservator of Forests), कुमाऊं कमिश्नर (Kumaon Commissioner) व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttarakhand Pollution Control Board) के अधिकारी को अपना प्रतिनिधि नामित करते हुए जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं।

एनजीटी ने शिकायती पत्र का जनहित याचिका के रूप में संज्ञान लिया है। एनजीटी के आदेश के बाद वन महकमे में खलबली मची है और शिकायतकर्ता के साथ मौका मुआयना कर जांच शुरू कर दी है। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने भी अपर आयुक्त जीवन सिंह नाग्नयाल को अपना प्रतिनिधि नामित किया है, साथ ही खुद भी वस्तुस्थिति जांच करने की बात कही है। अगली सुनवाई 24 नवंबर को नियत की गई है।

मल्लीताल बड़ा बाजार निवासी व्यापारी नेता विवेक वर्मा ने इसी साल अप्रैल में एनजीटी को पंजीकृत डाक से शिकायत पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि हालिया वर्षों में नैनीताल शहर से सटे वन क्षेत्रों में हरे पेड़ों को अनधिकृत तरीके से काटकर पर्यावरण की क्षति की जा रही है।

काटे गए पेड़ों में अधिकांश संरक्षित प्रजाति के हैं। पेड़ों के अवैध कटान से वन क्षेत्र सिमट रहा है। नैनीताल की झील शहर से सटे वन क्षेत्रों से ही रिचार्ज होती है, इसलिए पेड़ों की अवैध कटाई से वन क्षेत्र नष्ट होने के साथ ही नैनी झील के जलग्रहण क्षेत्र के समाप्त होने का भी खतरा है।

एनजीटी ने इस शिकायती पत्र का जनहित याचिका के रूप में संज्ञान में लिया है। एनजीटी के न्यायमूर्ति व न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी, विशेषज्ञ सदस्य डा अफरोज अहमद ने पत्र में उठाए गए बिन्दुओं को प्रथम दृष्टया बेहद गंभीर माना है, और इसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की अनुसूची-एक में निर्दिष्ट अधिनियमों के अधीन रखा है, जो क्रियान्वयन से उत्पन्न पर्यावरण से संबंधित प्रश्न उठाते हैं।

संयुक्त समिति से दस्तावेजों के साथ मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने पत्र की शिकायतों की तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने व उपचारात्मक कार्रवाई करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन करने का आदेश पारित किया है।जिसमें प्रमुख वन संरक्षक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कुमाऊं कमिश्नर से दो सप्ताह के भीतर बैठक करने, साइट का दौरा कर आवेदक की शिकायतों को देखने, आवेदक को संबद्ध करने, तथ्यात्मक स्थिति की पुष्टि करने और उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने आदेश पारित किए हैं।

एनजीटी ने समिति से दो महीने के भीतर अपनी तथ्यात्मक और कार्रवाई की रिपोर्ट जमा करना के निर्देश दिए हैं। साथ ही साफ किया है कि कमेटी में समन्वय और आदेश अनुपालन के लिए राज्य पीसीबी को नोडल एजेंसी बनाया है।

वन महकमे में खलबली, जांच शुरू

नैनीताल में वैध-अवैध निर्माणों के लिए संरक्षित प्रजाति बांज, सुरई आदि के पेड़ों को काटने का एनजीटी के संज्ञान लेने पर विशेषकर वन महकमे में खलबली मच गई है। याचिकाकर्ता व पर्यावरण प्रेमी व्यापारी विवेक वर्मा को साथ लेकर डीएफओ के प्रतिनिधि वन क्षेत्राधिकारी नगरपालिका रैंज प्रमोद तिवारी ने संबंधित साइट का दौरा किया गया है। विवेक के अनुसार धामपुर बैंड के पास, अयारपाटा क्षेत्र, अमरालय क्षेत्र, अरोमा होटल क्षेत्र, अरविंद आश्रम क्षेत्र में हरे पेड़ काटे गए। वन विभाग ने खानापूर्ति करने के लिए चंद मामलों में जुर्म भी काटा है।

तय समय में रिपोर्ट एनजीटी को भेजेंगे

कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने बताया कि एनजीटी ने नैनीताल में निर्माण के लिए हरे पेड़ों को काटने का संज्ञान लिया है। संयुक्त समिति बनाई गई है। अपर आयुक्त को कमेटी के लिए नामित किया है, वह खुद भी वस्तुस्थिति का जाजया लेंगे और तय समय में रिपोर्ट एनजीटी को भेजी जाएगी।

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