एक तरफ औद्यानिकी को उत्तराखंड की आर्थिकी का महत्वपूर्ण जरिया बनाने पर जोर दिया जा रहा है, तो दूसरी ओर विभागीय अधिकारी ही इस मुहिम पर पलीता लगा रहे हैं। उद्यान विभाग में परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अंतर्गत कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किसानों को दिए जाने वाले नेपशेक स्प्रे पंप खरीद का प्रकरण इसकी तस्दीक करता है।
मामला वर्ष 2018-19 का है। तब जिला स्तर पर 3.67 करोड़ रुपये अधिक की लागत के ये उपकरण बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के खरीद डाले गए। विभाग के वित्त नियंत्रक ने यह अनियमितता पकड़ी और गत वर्ष नवंबर में तत्कालीन अपर सचिव राम बिलास यादव (अब सेवानिवृत्त) को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें यह भी उल्लेख है कि सीएचओ व डीएचओ ने वित्तीय अधिकार से बाहर जाकर यह खरीद की। 10 माह तक फाइलों में दबी रही इस रिपोर्ट की परतें अब जाकर खुली है।
शासन इस मामले में वित्त विभाग से राय ले रहा है। इसके बाद संबंधित मुख्य उद्यान अधिकारियों (सीएचओ) व जिला उद्यान अधिकारियों (डीएचओ) को कारण बताओ नोटिस भेजे जा सकते हैं। उद्यान विभाग में परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत वर्ष 2018 में औद्यानिकी फसलों में कीट व्याधियों और खरपतवारों की रोकथाम के मद्देनजर दवाओं के छिड़काव के लिए किसानों को निश्शुल्क नेपशेक स्प्रे पंप देने का निर्णय लिया गया।
इसके बाद सभी जिलों में वर्ष 2018 व 2019 में सीएचओ, डीएचओ ने बड़े संख्या में ये उपकरण खरीदे। वर्ष 2020 में तमाम किसानों को उपकरण न मिलने और उपलब्ध कराए गए उपकरणों में खराबी की बात सामने आने पर शासन ने 29 सितंबर 2020 को विभाग के तत्कालीन वित्त नियंत्रक को इसकी जांच के निर्देश दिए। वित्त नियंत्रक ने सभी जिलों में हुई खरीद के आधार पर अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट नवंबर 2021 में तत्कालीन अपर सचिव राम बिलास यादव को सौंपी। इसे यादव ने दबा दिया।
आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल में बंद यादव जून में सेवानिवृत्त हुए। इस बीच हाल में जब फाइलें खंगाली गईं तो यह जांच रिपोर्ट सामने आई। वित्त नियंत्रक ने रिपोर्ट में बताया है कि सभी जिलों में 1400 से 1800 रुपये प्रति उपकरण की दर से खरीद की गई। इसके लिए संबंधित डीएचओ, सीएचओ ने वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति तक नहीं ली। उपकरणों की खरीद में वित्तीय अधिकारों के प्रविधानों की अनदेखी की गई।
निम्नतर दरें प्राप्त करने को यथासमय एक साथ अधिकतम अधिप्राप्ति लेने का प्रयास भी नहीं किया गया। यही नहीं, एक ही फर्म से कई-कई बार उपकरण खरीदे गए। ये सब वित्तीय अनियमितता को प्रदर्शित करते हैं। रिपोर्ट में इस प्रकरण का विशेष परीक्षण कराने की संस्तुति भी की गई है।नेपशेक खरीद का यह प्रकरण हाल में ही मेरे संज्ञान में आया है। वित्त नियंत्रक की जांच आख्या के संबंध में वित्त विभाग से राय ली जा रही है। वित्त की राय के बाद संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेजे जाएंगे। यदि कोई गलत पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।