मूसा को गिरफ्तार करने से चूकी एसटीएफ, अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी विजिलेंस

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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग(यूकेएसएसएससी) पेपर लीक प्रकरण का मास्टरमाइंड सैयद सादिक मूसा गोवा में एसटीएफ के हत्थे चढ़ते-चढ़ते रह गया था। बीती 31 अगस्त को एसटीएफ ने इस मामले में मूसा के साथी फिरोज हैदर को पणजी में एक होटल से गिरफ्तार किया था।

पुलिस सूत्रों की मानें तो मूसा भी फिरोज के साथ उसी होटल में ठहरा था, मगर एसटीएफ की छापेमारी के दौरान वह होटल में नहीं था। एसटीएफ को इस बात की जरा भी भनक नहीं थी। यही वजह रही कि एसटीएफ मूसा को दबोचने से चूक गई और फिरोज को साथ लेकर देहरादून आ गई।

अब तक 35 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी स्पेशल टास्क फोर्स

आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स अब तक 35 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसके अलावा दो आरोपित सैयद सादिक मूसा और उसका साथी योगेश्वर राव फरार हैं। दोनों पर दो-दो लाख रुपये का इनाम घोषित किया जा चुका है।

उत्तर प्रदेश के नकल माफिया मूसा को इस प्रकरण का मास्टरमाइंड और गिरोह का सरगना बताया जा रहा है। उसने ही आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस के स्वामी राजेश चौहान से संपर्क कर स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराया था। आंबेडकर नगर (उप्र) निवासी मूसा उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश में भी कई पेपर लीक करा चुका है।

एसटीएफ पिछले कई दिन से मूसा की तलाश में उसके ठिकानों पर दबिश दे रही है, मगर एसटीएफ के हाथ खाली ही हैं। मूसा ने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है। सूत्रों की मानें तो वह बातचीत के लिए वाईफाई नेटवर्क और वाट्सएप का उपयोग कर रहा है, जिस कारण पकड़ में नहीं आ रहा।

मूसा का गैर जमानती वारंट जारी, नहीं मिला तो कुर्क होगी संपत्ति

फरार मूसा के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है। फिलहाल, एसटीएफ मूसा की तलाश में दबिश दे रही है। जल्द उसकी गिरफ्तारी नहीं होने पर एसटीएफ उसके घर पर नोटिस चस्पा करेगी। इसके बाद भी वह हत्थे नहीं चढ़ा तो उसकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जाएगी।

अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी विजिलेंस

यूकेएसएसएसपी के भर्ती परीक्षा का पेपर लीक मामले में की जांच विजिलेंस करेगी। गुरुवार को इस मामले में निर्णय हो गया है। एक या दो दिन में शासन की ओर से विजिलेंस को जांच के आदेश जारी किए जाएंगे।

गुरुवार को इस मामले में शासन में मुख्य सचिव एसएस संधु की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें विजिलेंस के अधिकारियों को बुलाया गया। इस दौरान जांच की रूपरेखा तय की गई। निर्णय लिया गया कि एक-दो दिन में विजिलेंस को अधिकारिक तौर पर विजिलेंस को जांच के आदेश जारी किए जाएंगे।

स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा व सचिवालय रक्षक का पेपर लीक होने के प्रकरण में आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी, पूर्व नियंत्रक नारायण सिंह डांगी सहित तीन अन्य अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। ऐसे में कुछ दिन पहले एसटीएफ ने पुलिस मुख्यालय के माध्यम से शासन को पत्र लिखकर पांचों अधिकारियों की जांच करवाने का अनुरोध किया था।

चार-पांच दिसंबर को आयोग की ओर से स्नातक स्तर के विभिन्न विभागों में भर्ती के लिए 916 पदों पर परीक्षा कराई गई थी। परीक्षा में धांधली की शिकायत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास पहुंची तो उन्होंने तुरंत पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भर्ती की जांच करवाने के आदेश जारी किए।

डीजीपी के आदेश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और विवेचना एसटीएफ को सौंपी गई। जांच में सामने आया कि आयोग ने जिस प्रिंटिंग प्रेस को पेपर व अन्य जिम्मेदारी सौंपी थी, उसके मालिक ने ही पेपर लीक कर दिया।

दोनों भर्तियों में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

पेपर लीक प्रकरण में एसटीएफ अब तक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक सहित चार आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। पूछताछ में पांचों अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। इसके अलावा सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा में भी अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई जा रही है।

इस परीक्षा में आयोग के भीतर स्थापित प्रिंटिंग प्रेस से ही आरएमएस टेक्नोसाल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी ने भी पेपर लीक कर दिया। जबकि पेपर की गोपनीयता रखने की जिम्मेदारी इन अधिकारियों की थी।

जांच के बाद हो सकता है मुकदमा दर्ज

पुलिस अधिकारियों की मानें तो विजिलेंस जांच के बाद अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर सकती है। बताया जा रहा है कि अधिकारियों को उनका पक्ष रखने के लिए विजिलेंस को जांच सौंपी जा रही है। विजिलेंस जांच में अधिकारियों की ओर से अर्जित की गई संपत्ति की भी जांच होगी।

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