सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण चीन और नेपाल की सीमा पर कमजोर और शून्य संचार नेटवर्क केंद्र व राज्य सरकार की बड़ी चिंता है। इसलिए सरहद से सटे गांवों तक मजबूत संचार नेटवर्क का जाल बिछाने की कवायद शुरू हो गई है।
जिन इलाकों में किसी भी संचार कंपनी का मोबाइल टावर नहीं है, वहां बीएसएनएल फोर जी कनेक्टिविटी वाले टॉवर लगाने के लिए रोडमैप तैयार कर चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर केंद्रीय संचार मंत्रालय ने 1202 मोबाइल टॉवर मंजूर किए हैं। बीएसएनएल ने इनके लिए सर्वे का कार्य आरंभ कर दिया है। कंपनी के महाप्रबंधक ओम प्रकाश कन्नौजिया ने इसकी पुष्टि की है। नेटवर्क न होने से कई गांवों में सरकारी सेवाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है।
धारचूला के कई गांवों में नेपाल के सिम से होती है बात
दूसरे देश की मोबाइल कंपनियों के सिम का इस्तेमाल करना सामरिक लिहाज से कितना संवेदनशील है, इसे राज्य और केंद्र सरकार भी खूब समझती है। धारचूला के कई गांवों के लोगों को बातचीत करने के लिए नेपाली सिम का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। व्यास घाटी के दुर्गम, गांव बुदि, गर्ब्यांग, नपलच्यूं, गुंजी, नाभी, रौंगकांग और कुटी जैसे गांव हैं, जहां लोग नेपाली संचार कंपनी के सिम से बात करते हैं।
राशन बांटने के लिए भी खोजना पड़ता है नेटवर्क
सीमांत जिले उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड में मोबाइल कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी समस्या है। केंद्र सरकार ने राशन वितरण में बायोमीट्रिक प्रणाली को अनिवार्य कर दिया है। लेकिन यहां राशन विक्रेताओं को राशन बांटने में आनलाइन अंगूठे का निशान लेने के लिए नेटवर्क की तलाश में भटकना पड़ता है। वे राशन उपभोक्ताओं को वाहन में भरकर नेटवर्क वाले क्षेत्र में ले जाते हैं। कई बार नेटवर्क के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।
सभी जिलाधिकारियों को 15 दिन में भूूमि उपलब्ध कराने के संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। वे बीएसएनएल के साथ मिलकर इन जल्द से जल्द भूमि चिन्हित करेंगे ताकि मोबाइल टॉवर लगाए जा सकें।