भारी डिमांड के बीच कई महीने से बाजार से महंगी बिजली खरीद रहे यूपीसीएल ने अब उपभोक्ताओं पर सरचार्ज लगाने की याचिका नियामक आयोग में दायर की है। आयोग को इस याचिका को स्वीकार या रद्द करने पर निर्णय लेना है। यूपीसीएल लगातार यह मुद्दा उठा रहा है कि हर महीने 100 से 125 करोड़ की बिजली बाजार से खरीदने की वजह से आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।
सालभर में ऊर्जा निगम ने 1355 करोड़ की अनुमानित बिजली खरीद मानते हुए नियामक आयोग में पूर्व में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जो कि खारिज हो गई थी। इसके बाद अब यूपीसीएल ने शुक्रवार को नए सिरे से याचिका दायर की है। इस याचिका में निगम ने बर्फबारी प्रभावित इलाकों के उपभोक्ताओं, बीपीएल उपभोक्ताओं और हर महीने 100 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले छोटे उपभोक्ताओं को छूट के दायरे में रखा है।
इसके बाद 200 से 400 यूनिट वाले उपभोक्ताओं पर एक से दो प्रतिशत, 400 यूनिट से ऊपर वालों पर अलग सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं, अत्यधिक बिजली उपभोग वाले सेक्टर जैसे उद्योगों में सबसे ज्यादा सरचार्ज का प्रस्ताव भेजा है। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि जो ज्यादा बिजली उपभोग करता है। जिनकी इंडस्ट्री चलने से जीएसटी भी प्राप्त होता है।
सात से आठ फीसदी तक सरचार्ज लगाने की मांग
उन्हें निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए सात से आठ फीसदी तक सरचार्ज लगाने की मांग रखी गई है। नियामक आयोग के सदस्य तकनीकी एमके जैन का कहना है कि अभी याचिका का अध्ययन करने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। इसके बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।
एक साल में करीब 1355 करोड़ की जरूरत होगी। इसमें से कुछ हिस्सा हम अपने निगम की क्षमता बढ़ाकर पूरा करेंगे और बाकी हिस्सा उपभोक्ताओं से लिया जाएगा। नियामक आयोग में हमने आज याचिका दायर कर दी है। आगे आयोग जैसा भी निर्णय लेगा, वह मान्य होगा।