दून अस्पताल में टीबी के गंभीर मरीजों को इलाज मिलना शुरू हो जाएगा। इसके लिए यहां पर एमडीआर यूनिट चलेगी। अभी तक कुछ बड़े निजी अस्पतालों में ही एमडीआर यूनिट चलने की वजह से यहां से मरीजों को लौटाना पड़ता था। उधर, विभाग में अब फाइबर ऑप्टिक ब्रोंकोस्कॉपी की भी शुरुआत हो गई है। जिससे लंग कैंसर, नॉन रिजॉल्विंग निमोनिया, हिमोफ्तिसिस एवं लंग फॉरेन बॉडी रिमूवल आदि में काफी मदद मिलेगी और कैंसर की भी प्राथमिक चरण में पहचान हो जाएगी।
एचओडी डा. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि पुराने टीबी वार्ड को एमडीआर यूनिटी बनाया जा रहा है। जल्द ही इसे शुरू कर दिया जाएगा। विभाग में डा. अविशम गोयल ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ज्वाइन किया है। जिससे अब ओपीडी एवं आईपीडी में किसी तरह की दिक्कत नहीं आ रही है। उधर, प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि टीबी एंड चेस्ट विभाग में पीजी पाठ्यक्रम भी इस साल से शुरू करने के लिए एनएमसी में आवेदन किया गया है। उधर, अन्य फैकल्टी के लिए इंटरव्यू रखे गए हैं।
स्किन में मिली एक और डाक्टर
चर्म रोग विभाग में एक और डाक्टर डा. आस्था पंत ने ज्वाइन कर लिया है। अब विभाग में तीन डाक्टर हो गए हैं। पहले डाक्टरों की कमी से यहां पर मरीजों को परेशानी हो रही थी। अब यहां पर डा. भव्या संगल, डा. अरुण कुमार और डा. आस्था पंत तीन डाक्टर हो गए हैं। जिससे काफी राहत मरीजों को मिल रही है। यहां पर एक दिन में 150 से 200 मरीज आते हैं।