कर्नाटक का युवक नवीन शेखरप्पा मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे। रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के दौरान एक दिन जब वह खाने का सामान खरीदने की लाइन में लगे थे, ठीक उसी समय रूसी सेना की गोलाबारी में उनकी मौत हो गई। शोक में गमगीन नवीन के परिवार के लिए हर सांत्वना बेहद छोटी है, लेकिन तमाम सवाल आज उन हजारों युवाओं के सामने हैं जिन्हें भारत सरकार न केवल संकटग्रस्ट यूक्रेन से हाल में लौटा लाई है। बल्कि उससे भी पहले दशकों तक दूसरी कई वजहों से इराक, सऊदी अरब, यमन, लीबिया आदि देशों से लौटते रहे युवाओं के हैं, सुरक्षित वतन वापसी के बाद जिनकी खोज-खबर लिए जाने का कोई इतिहास नहीं मिलता है। अभी की चिंताओं में शामिल यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों की शेष पढ़ाई को किसी तरह पूरी कराने का कोई सरकारी प्रबंध कितना कारगर होगा, यह भविष्य में पता चलेगा, परंतु इससे पहले तो वतन लौटे हजारों लोगों की खैर-खबर का प्राय: कोई लेखा-जोखा तक नहीं मिलता है।
रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के दौरान यूक्रेन से लौटे छात्रों के भविष्य का सवाल

कर्नाटक का युवक नवीन शेखरप्पा मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे। रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के दौरान एक दिन जब वह खाने का सामान खरीदने की लाइन में लगे थे, ठीक उसी समय रूसी सेना की गोलाबारी में उनकी मौत हो गई। शोक में गमगीन नवीन के परिवार के लिए हर सांत्वना बेहद छोटी है, लेकिन तमाम सवाल आज उन हजारों युवाओं के सामने हैं जिन्हें भारत सरकार न केवल संकटग्रस्ट यूक्रेन से हाल में लौटा लाई है। बल्कि उससे भी पहले दशकों तक दूसरी कई वजहों से इराक, सऊदी अरब, यमन, लीबिया आदि देशों से लौटते रहे युवाओं के हैं, सुरक्षित वतन वापसी के बाद जिनकी खोज-खबर लिए जाने का कोई इतिहास नहीं मिलता है। अभी की चिंताओं में शामिल यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों की शेष पढ़ाई को किसी तरह पूरी कराने का कोई सरकारी प्रबंध कितना कारगर होगा, यह भविष्य में पता चलेगा, परंतु इससे पहले तो वतन लौटे हजारों लोगों की खैर-खबर का प्राय: कोई लेखा-जोखा तक नहीं मिलता है।