कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी में अनुशासनहीनता के मामलों में कार्रवाई के लिए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को खुली छूट दे दी है। रविवार को दून आए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने साफ कहा कि प्रदेश अध्यक्ष कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं। वो जो भी निर्णय लेंगे, पूरी पार्टी उसके साथ होगी।
राजीव भवन में यादव ने मीडिया से बातचीत में पूर्व काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व अन्य नेताओं को आगाह भी किया कि पार्टी की लक्ष्मणरेखा कतई न लांघे। यदि किसी के मन में कोई बात है तो उसे पार्टी मंच पर रखें। सार्वजनिक बयानबाजी को अनुशासनहीनता के दायरे में माना जाएगा।
केंद्र और प्रदेश सरकार पर वार : कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों की नीतियों की वजह से आम आदमी का जीना मुश्किल हो चुका है। महंगाई, गरीबी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी चरम पर है। सरकार को चंद उद्योगपतियों के अलावा किसी की चिंता नहीं। कांग्रेस जनता की आवाज बनकर सड़क से सदन तक आंदोलन जारी रखेगी। इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है।इसलिए हो रहा विवाद : दरअसल, हरक सिंह के घर पर कुछ दिन पहले हुई बैठक में पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, विधायक दल के उपनेता भुवन कापड़ी, विक्रम सिंह, पूर्व विधायक राजकुमार समेत कुछ विधायक व पार्टी नेता शामिल हुए थे।
इस बैठक के बाद हरक ने कहा कि प्रदेश में विपक्ष बेहद कमजोर है। जब वो नेता प्रतिपक्ष थे तब सड़कों पर भी संघर्ष नजर आता था और सदन में भी। इसके अगले दिन ये सभी विधायक व नेता, हरिद्वार में कांग्रेस नेता ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के आश्रम में एकत्र हुए। यहां भी यही बातें दोहराई गईं। इसके साथ ही पूर्व सीएम हरीश रावत पर भी निशाना साधा गया। इस पर बीते रोज प्रदेश अध्यक्ष माहरा ने कड़े तेवर दिखाते हुए पार्टी के सभी नेताओं को अनुशासन के दायरे में रहने की सलाह दी।
मैंने पार्टी पर सवाल नहीं उठाया था बल्कि मैंने ये कहा था कि विपक्ष कमजोर है। मेरे कहने का मतलब सदन में विपक्ष के विधायकों की कम संख्या से था। भाजपा से लड़ने के लिए विपक्ष पास भी सदन में बड़ा संख्या बल होना जरूरी है।